‘‘ फिर आएगा वसंत ’’ चम्पा चमेली, गेंदा, गुलाब..... ना जाने कितनी तरह के पौधे लगे हैं, इस बगीचे मेंं। हर क्यारी फूलों से गुलजार है हर डाली पर फूल खिले हैं । इठलाते गुलाब और शान दिखाते गेंदे को छोड़कर बगीचे में जिधर भी नज़र घुमाकर देखें तो लगता है हम स्वर्ग में ही आ गए हैं।इतनी सुन्दर क्यारियां,पौधों की इतनी सुन्दर कटिंग, कहीं झांकते नव-पल्लव तो कहीं कलियाँ और फूल। हँसती हुई कलियों और फूलों के बीच चंदा की पायल सी खनकती हँसी और साथ ओहो..कहते हुए चंदा के पिताजी की बहुत ही शांत हँसी ने वातावरण में मनुष्य की उपस्थिति का अहसास करवाया है। भाई के किए का मजाक बनाते हुए बाबा की लाडली चंदा बाबा को एक गुलदस्ता दिखाकर कहती हैं - ‘‘बाबा देखों ना मन्नू ने क्या किया है। (हँसते हुए) गुलाब में गेंदेओर गेंदे में गुलाब के फूलों को मिलाकर रख दिया। पागल कहीं का। ऐसे भी भला कोई गुलदस्ता बनता है। लाडली चंदा बिटिया की बात पर हँसते हुए झाबर बोला- ‘‘कहाँ खोये रहते हैं ये माँ-बेटे चल अब कोई बात नहीं, आज ही किया है ना तो तू इसे सही कर दे।’’ ‘‘हाँ बाबा, अभी लगा देती हूँ। आप उस
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia