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माँ पन्नाधाय

माँ पन्ना धाय  एक माँ ऎसी भी  मेरी माँ माँ री बिलोवणी माँ पन्नाधाय  काळजै री कोर नै माता,                देख-देख मुस्कावै है, छाती सूँ दूध री नदी बह्वै,            टाबर सूँ जद बतळावै है। कान्हा री सी देख कै सूरत,            मायड़ यूँ इतरावै है, सोच काल री बात मावड़ी,          आँख्यां आँसू ल्यावै है।  फर्ज पै वारूं म्हारा पूत नै ,          हिवड़ा रो दरद लुकोवै है, घर मै बळतो 'दिवला नै  खुद           आज बुझाणव जावै है। लाड लड़ावै घणा बावली,            नयो लेख लिखण नै जावै है, प्रेम रो सागर छलकावै माँ,           धन ममता रो झळकावै है। सुनीता बिश्नोलिया