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जेईई मेन और नीट की परीक्षाएं

      एक समय देश में कोरोना का इतना खौफ़ था कि सरकार ने लोगों के घरों से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। ट्रेन, बस यहाँ तक कि निजी वाहनों की आवाजाही पर भी रोक थी। सड़क पर बिना कारण घूमने वालों को मारा जाता और बेइज्जत किया जाता था।     लगता था कि सरकार का ये कदम और ये कठोर निर्णय देश हित में है। वास्तव में देश हित में ही तो था ये कदम तभी तो देश में लॉकडाउन लगा और गरीबों की नौकरी गई अन्यथा वो कमा-खा रहे थे। लेकिन फैक्ट्री और और रोजगार के अन्य साधन बंद होने के कारण भूख से मरने से अच्छा पैदल ही घरों की ओर चल पड़े कितने ही मजदूर बेमौत मारे गए। हाय! कोरोना कितने घरों के चिराग बुझ गए सिर्फ तुम्हारे नाम से। गरीब मजदूरों को मरता देखकर भी नियमों में ढिलाई नहीं दी गई ये इस महामारी का भय ही तो था कि देश की कमर टूटती अर्थव्यवस्था को संभालने वाले इन कर्णधारों का जीवन चींटियों की भाँति हो गया और ये उन्हीं चींटियों की भाँति सड़कों पर जहाँ-तहाँ रेंगते दिख रहे थे।  सरकार के प्रयास और जनसाधारण ने इस महामारी के संक्रमण बचने का पूरा प्रयास किया।