देता है उपदेश ज़माना ख़ुद की लेकिन ख़बर कहाँ दूजों में कमियाँ खोजें पर, खुद की आती नजर कहाँ। नुक्ताचीनी के कारण है, मीठा सबका जीवन रस, रोग छिपे हैं मीठे में ही दिखते उनको मगर कहाँ।। सुनीता बिश्नोलिया
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia