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सूरदास के पद - #Surdas_ke_pad व्याख्या एवं प्रश्नोत्तर (हिंदी - अ) (क्षितिज) कक्षा - 10

  सी बी.एस. ई  हिंदी - 'अ' ( क्षितिज) कक्षा 10  सूरदास के पद                         पद - सूरदास  सूरदास का जन्म 1478 में रुनकता क्षेत्र में हुआ जो मथुरा के निकट है। कुछ विद्वान इनका जन्म दिल्ली के निकट सीही गांव में भी मानते हैं। सूरदास हिंदी साहित्य आकाश में अनुपमेय प्रदीप नक्षत्र थे। श्री कृष्ण के बाल्य - जीवन का सजीव वर्णन करने वाले वात्सल्य सम्राट के नाम से प्रसिद्ध  थे।  सूरदास के काव्य की भाषा-शैली सूरदास के काव्य की भाषा ब्रज भाषा है। इसमें सहजता, सरलता  और गेयता है। काव्य में कहीं उपालंभ (उलाहना) है तो कहीं अपनत्व का भाव। उपमा अलंकार की छटा ऐसी है कि उपमेय उपमान बन जाता है। उपमेय सर्वोपरि दिखाई देता है। रूपक, उठप्रेक्षा, अनुप्रास, वक्रोक्ति का सौंदर्य दर्शनीय है। काव्यगत विशेषताएँ सूर के काव्य में भक्ति की पराकाष्ठा देखने को मिलती है, किंतु सूरदास जी कृष्ण के प्रति सख्यभाव रखते थे, फिर मी इन काव्य में वात्सल्य-सुख की अनुभूति है। काव्य में शृंगार और वियोग की पीड़ा है। श्रृंगार के वर्णन में सूरदास जी ने अन्य सभी कवियों को पीछे छोड़ दिया है।  माना जाता है कि स