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बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

मन के सच्चे होते हैं बच्चे  तुम्हारी नादानियों की चटकती कलियाँ और वो नटखट अंदाज़ से  खिलते फूलों की खुशबु । गुदगुदा देती है।  शिकायतों की पोटली से  बाहर झाँकती कतरन सी  एक-दूजे की  प्यारी सी शिकायतें  और प्यार के गुल्लक में बजते  सिक्कों के से तुम्हारे स्वर। हँसा देते हैं।  तने का स्पर्श पाने की ज़िद करते  शाख के पल्लव की तरह कभी आगे की सीट पर बैठने के लिए लड़ना और कभी  चुपचाप पीछे जाकर बैठ जाना  आनंदित करता है।  सदा वसंत से खिलखिलाते हुए बिना बात मुस्कुराना और  पानी पीने के बहाने से  साथी को इशारे से बुलाना  हर्षा देता है मन को। बादलों में छिपते-निकलते  चंचल चांद की तरह अठखेलियाँ करते हुए  'आज मत पढ़ाओ न मैम'  कहकर प्यार से रिझाना मन में मिठास भर देता है। जल से भरी उमड़ती-घुमड़ती  शिकायतों की बरसती बदली और   झूठे आश्वासन देते   बहानेबाज सावन की तरह  कॉपी के खो जाने और  घर भूल आने का वही  पुराना बहाना लगाना हँसा देता है। मेरे प्यारे नटखट  हर बात तुम्हारी  भर देती है आशा और  नवऊर्जा मन में  बड़ा दूर रह लिए हम  अब छंट रहे हैं  कोरोना के काले बादल। फिर भी सावधान रहना