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जय श्री राम - राम की अठखेलियाँ

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राम नाम जप ले तू मनवा अविराम

राम नाम जप ले तू मनवा अविराम   राम नाम जप ले तू मनवा अविराम - 2   राम नाम जप ले उसे दुख कहाँ काम राम की अठखेलियाँ   जग में जिसका कोई ना उसके श्री राम      जग में जिसका कोई ना उसके श्री राम   संतो के भी राम, वो ही भक्तों के राम.. 2   अयोध्या के आँगन में ममता की छांव   भक्तों के भगवन, ये नदिया में नाव    राम जी के तरकश पे दुष्टों का नाम-2   राम नाम जप ले उसे दुख कहाँ काम।  सुनीता बिश्नोलिया 

नारी कभी ना हारी एवं सपनाज़ ड्रीम्स चेरिटेबल ट्रस्ट, नमकीन सपने - लोकार्पण और पुरस्कार वितरण समारोह

लोकार्पण  एवं पुरस्कार वितरण समारोह - नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान एवं सपनाज़ ड्रीम्स चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर  हार का स्वाद चखकर ही जीत की राह मिलती  भला सागर के पानी में कभी क्या दाल गलती है,  हृदय उम्मीद की मीठी नदी का स्रोत बहने दो  मन की मीठी नदी संग चल राह मंजिल देखती है।        राजस्थान लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष एवं 'नारी कभी ना हारी' संस्था की संस्थापिका आदरणीय वीना चौहान दी का यही मानना है कि हार जाओ मगर जीतने के लिए..बिखरी हो टूटो मत, जुड़ना है और पंख फैलाकर उड़ना है। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ' नारी कभी ना हारी संस्था में आप ही की प्रेरणा से हर नारी उड़ने को बेताब है। आप भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी 'नारी कभी ना हारी' के माध्यम से महिलाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास  कर रही हैं।  सावित्रीबाई फुले   स्वयं को एक साधारण पत्थर मानकर आँसुओं की गागर तले दबी अपनी सखी नीलम शर्मा को उनके ..अमूल्य होने का अहसास करवाकर पीड़ा के गहन  समुद्र से बाहर निकलने में सहयोग किया। 

राजस्थान_चुनाव वोट की शक्ति

आओ हम मतदान करें    बहुत जरूरी है मत देना    याद हमें रखना है।    सही-गलत का करें फैसला    ये भी तो हक अपना है।  मत की शक्ति बड़ी है शक्ति   नहीं किसी उत्सव से कम ये      बहुत बड़ा त्यौहार     लोकतांत्रिक देश हमारा    हमको सम अधिकार।    आओ आज दिखाएं हम भी   हम हैं जिम्मेदार।    सूझ-बूझ हम अपनी से    आओ चुनें सरकार।। मत देना बहुत जरूरी है     एक-एक मत बड़ा क़ीमती   हम को है ये भान    चुनें योग्य हम प्रतिनिधि अपना    ना गलत का हो गुणगान    लिया फैसला हमने जो    होगा सबको  स्वीकार।    आओ आज दिखाएं हम भी   हम हैं जिम्मेदार।    सूझ-बूझ हम अपनी से    आओ चुनें सरकार।।        चले सुचारू कार्य व्यवस्था     इस हेतु ये है फ़र्ज़     देकर मत अनमोल चुकाएं     अपने हिस्से का कर्ज़।     कर्म करें हम धर्म समझकर    ये अपना अधिकार     आओ आज दिखाएं हम भी    हम हैं जिम्मेदार।     सूझ-बूझ हम अपनी से     आओ चुनें सरकार।।       सुनीता बिश्नोलिया                                                    

अपने मन का रावण मारो

अपने मन का रावण मारो मन में पलती ईर्ष्या और  क्रोध,लोभ मत द्वेष से हारो राम मिलेंगे अंतर में  अपने मन का रावण मारो। ये जीवन है छोटा सा  पर इच्छाएं बहुत बड़ी इच्छाओं को पूरा करने  प्रज्ञा आपस में खूब लड़ी। देव और दानव मन रहते  शाश्वत सत्य को स्वीकारो।  देव जगे दानव सो जाए  परहित कर्म महान करो अहम घटे सीखें के संयम  अपने मन का रावण मारो।।  लीलटांस - दशहरे के दिन लीलटांस यानी नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है व्यभिचारी मन काबू कर तू  काम वासना की लहरें ऐसे मन में तुम्हीं बताओ  राम भला क्यों कर ठहरें। घट में राम मिलेंगे तुमको  मलिन ह्रदय को स्वच्छ करो  तज दो पलते दुर्विकार  अपने मन का रावण मारो।।  सुनीता बिश्नोलिया 

रक्षाबंधन #राखी

     आज चालीस साल के भी रक्षा बंधन के उस दिन को याद करती हूँ तो अपनी मूर्खता पर हँसी  नमस्ते के मारे पेट में बल पड़ जाते हैं। उस समय मैं लगभग पाँच- छह वर्ष की रही हूंगी। राखी बांधने के लिए हम पाँचों सुबह-सुबह तैयार हो गई और भाइयों के तैयार होते ही उन्हें मिठाई खिलाकर राखी बांध दी। भाइयों के दिए राखी के उपहार पाकर हम बहने मालामाल हो गई।   बस गुस्सा आया तो बड़े भईया पर क्योंकि उन्होंने हमें बीस-बीस रुपये दिए। बाकी बहनें कुछ नहीं बोली पर मैं मुँह फुलाकर बैठ गई। सबने मेरे गुस्से का कारण पूछाř में लच्छू  टॉफी नहीं देता वो तो दस और पच्चीस पैसे ही लेता है। दरअसल हमारा पड़ोसी दुकानदार 'लच्छू' बच्चों को सिर्फ दस और पच्चीस पैसे का सामान देता था। अगर कोई कागज के रुपए ले आता तो वो उसे वापस भेज देता । इसलिए हम समझते कि कागज के पैसे कम होते हैं।      मेरी बचकानी बात सुनकर सभी हँसने लगे और भईया ने मुझे बीस रुपये के साथ दस और पच्चीस पैसे भी दिए। लेकिन उस दिन के बाद घर में मेरा नाम 'दस पैसी' पड़ गया। आज भी हर राखी के दिन ये बात करके सब मेरा मजाक बनाते

#चंद्रयान - Chandrayaan-3

 चंद्रयान - 3 #इसरो  Chandrayaan-3  ऊँची भरी उड़ान सफल तो होना था  धरती पर रचा इतिहास, चाँद पर रचना था । सुबह का सूरज,कल संध्या निकला था  वो गौरव के पल देख, हर इक मन हरखा था  हमने रचा इतिहास  जगत ने देखा था । चंद्रयान-3 #chandrayaan-3 धरा चंद्र की चूम आज इठलाते हैं  गीत सफ़लता के मिलकर हम गाते हैं  मंगल खेले गोद,मोद में मन डूबा था  ये दिवस पर्व का याद,हर इक ज़न रखेगा  हमने रचा इतिहास  जगत ने देखा था । चट्टानों से क्या डरना जब लोहा दिल में है  मन में है विश्वास तो क्या मुश्किल मंज़िल में है  मात भारती के दूतों का,चंदा ने चरण पखारे  तिलक तिरंगा आज चाँद पर दमके है  हमने रचा  इतिहास जगत ने देखा है । सुनीता बिश्नोलिया