लोकार्पण एवं पुरस्कार वितरण समारोह - नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान एवं सपनाज़ ड्रीम्स चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर हार का स्वाद चखकर ही जीत की राह मिलती भला सागर के पानी में कभी क्या दाल गलती है, हृदय उम्मीद की मीठी नदी का स्रोत बहने दो मन की मीठी नदी संग चल राह मंजिल देखती है। राजस्थान लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष एवं 'नारी कभी ना हारी' संस्था की संस्थापिका आदरणीय वीना चौहान दी का यही मानना है कि हार जाओ मगर जीतने के लिए..बिखरी हो टूटो मत, जुड़ना है और पंख फैलाकर उड़ना है। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ' नारी कभी ना हारी संस्था में आप ही की प्रेरणा से हर नारी उड़ने को बेताब है। आप भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी 'नारी कभी ना हारी' के माध्यम से महिलाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रही हैं। सावित्रीबाई फुले स्वयं को एक साधारण पत्थर मानकर आँसुओं की गागर तले दबी अपनी सखी नीलम शर्मा को उनके ..अमूल्य होने का अहसास करवाकर पीड़ा के गहन समुद्र से बाहर निकलने में सहयोग किया।