मीरा बाई चानू मीरा बाई चानू के ओलंपिक के भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने पर बड़े भाइयों से ज्यादा लकड़ियां उठाकर सिद्ध तो उन्हीं दिनों कर चुकी थी वो खुद को पर मानता कौन है...! संघर्ष के दिनों में उसने झेला था तिरस्कार और तनाव तो लगता अपना कौन है..! सफलता चूमेगी कदम एक दिन ये बस वही जानती थी टूटकर बिखरी नहीं वो स्वयं को पहचानती थी। छिले हुए हाथों के उसके असफल प्रयासों पर हँसने वालो अब तो मानते हो ना 'डिड नॉट फिनिश' लिखी मिट्टी की लड़की चांदी की है! अरे! अब तो पहचानते हों ना। सुनीता बिश्नोलिया जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia