जोड़ता दिल को ये दिल से फूल कहता जमाना है, प्यार का ये बना साखी,खिलाकर इसको रखना है। मुहब्बत की निशानी हूँ,सुर्ख खुद फूल है कहता, वादा तुमको निभाना है,वादा मुझको निभाना है। हिना हाथों की ये कहती ,सजन तुम हो हजारों में, रखना फूलों सा तुम मुझको,सजाना तुम बहारों में। बड़ा नाजुक है ये बंधन सजन जो तुम से जोड़ा है, निभाना हमको ये नाता, जमाने की दीवारों में।
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia