नारी - सहनशील है धरती की तरह नहीं अब नहीं.. नहीं है नारी बेचारी ! गौर से देखो पालती है जग को पालनहारिणी है हर नारी ! ज़रा समझो, ज़रा झांको तो इतिहास में जो भरा है नारी के बलिदान की गाथाओं से, चाहे हो वह स्वतंत्रता आंदोलन या कोई हो हक की जंग! हर किरदार में श्रेष्ठ, नारी ने, किया था अथक परिश्रम जो करती है नव सृजन, धन्य है ये जग पाकर माँ की ममता की छांव। ईश्वर भी ऋणी है उसका कितनी सबल कितनी प्रबल है नारी! फिर भी लोग कहते हैं इसे बेचारी! देख लो ज़रा नजर घुमाकर किरण बेदी ,भावना कांत जैसी सक्षम नारी देती हैं पुरुषों को भी मात सहनशीलता है धरती की तरह , पर .. ना करना इसके अहं पर चोट वरना बहुत पछताओगे, कब सीता से काली बन जाए, एहसास भी ना कर पाओगे! एहसास भी कर ना पाओगे! भूमिका_ सिंह_ जयपुर मुश्किल घड़ी माँ का साथ माँ की सीख
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia