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#महाशिवरात्रि_की_हार्दिक_शुभकामनाएं

#शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं  शिव को ढूंढो अंतर में साक्षी स्वयं शिव है प्रलय का,वो ही प्रलय में रखवाला। चंद्र-गंगे शीश पर हाथों में डमरू, सर्प माला तन पे सोहे बाघ अंबर,कैलाश रहता शिव हमारा।  रखना मन में ऐसे शिव को, खुद मन तेरा होगा शिवाला।  सुनीता बिश्नोलिया 

शिव को ढूंढो अंतर में

शिव को ढूंढो अंतर में       अपने मन को मान शिवाला  शिव को ढूंढो अंतर में।   नहीं भटकना होगा तुमको   इस सृष्टि के सागर में।  मत बढने दो जिज्ञासाएं  मधुर मिलन होगा कैसे   मन से लो तुम नाम मिलेंगे  भावनाओं के शिव प्यासे।। महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं     ना सोने के महलों में शिव    ना झूठे आडंबर में   अपने मन को मान शिवाला  शिव को ढूंढो अंतर में।  कण-कण में हैं भोले शिव   हर दीन पे दृष्टि रखते हैं   डमक-डमक डमरू के स्वर में   हर आखर शिव रहते हैं।     मस्त-मलंग शिव संन्यासी   शिवा के हैं मन-मंदर में   संयम शील आचरण हो   मत ढूंढो गहन समंदर में   ना सोने के महलों में शिव    ना झूठे आडंबर में   अपने मन को मान शिवाला  शिव को ढूंढो अंतर में।।    सुनीता बिश्नोलिया ये भी पढ़ें

वक्त एक दिन बदलता है

 सदा ना एक सा होता वक़्त हर दम बदलता है,  सफ़ल होता वही एक दिन जो ठोकर खा संभलता है   नहीं हो हाथ में कुछ भी कोसना मत तू किस्मत को  होती खुशियाँ बिछी आगे एक दिन वक्त आता है।।  दोहा सुनीता बिश्नोलिया

सीख

#Betu  वर्तिका अँधेरे घने होंगे राहों में तेरी,        जोत बनकर के जलना ही तो जिंदगी है, गिर गया जो कभी पाने मंज़िल को प्यारे              गिरके फिर से संभलना ही तो जिंदगी है,  पा खुशियों के मेले, मीतों  के रेले,                  भूल खुद को ना जाना आँखों के तारे,  याद रखना उन्हें जिनका न कोई सहारा,              सहारा दूजों का बनना ही तो जिंदगी है। सुनीता बिश्नोलिया 

दोहा - झूठ

वर्तिका   पन्नाधाय प्रेम नदी और स्त्री सीख झूठा अंजन डाल कर ,मत कर आँखें बंद। सत्य साथ देगा सदा,झूठ रहे दिन चंद।। वर्तिका सुनीता बिश्नोलिया

सावित्रीबाई फुले जयंती

 #सावित्रीबाई फुले  महिला शिक्षा की अलख जगाने वाली नारी सशक्तिकरण एवं नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता,  महान समाज-सुधारिका  तथा देश की प्रथम महिला शिक्षिका, कवयित्री, शिक्षा और समानता की प्रबल समर्थक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर शत्-शत् नमन! अंधियारे की रात कठिन   घनघोर घटाएँ अंबर पर  कैसे ढले रात ये काली  भारी चिंता मस्तक पर।   सोच उसकी बड़ी थी  ज्योति मन में जली थी  अंधेरी रात में उसको   लानी खुद ही दिवाली थी   ढलेगी रात ये काली,  छँटेगा ये अंधेरा  खुद पे इतना भरोसा था   लाई वो खुद सवेरा।   बहुत मंज़िल कठिन थी   मगर वो भी अटल थी  अशिक्षा के सघन तम में   जोत उसको जलानी थी  मन का डर छोड़कर पीछे   कलम का ले सहारा   बनी वो शिक्षिका करके   रुढियों से किनारा।     भेद ना देख सकती थी   सभी को सम समझती थी   मिटाने भेद मध्य का  वो आगे बढ़ गई थी।   दुखी बीमार की माँ बन   देती सबको सहारा   खुद पे इतना भरोसा था   लाई वो खुद सवेरा।   नारी शिक्षा के सूरज को   धरती पर उतारा।।     सुनीता बिश्नोलिया              

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं Happy New year

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🌼🌼 चलो भूलकर बीती बातें  नए तराने गाएं हम  नए वर्ष की नई सुबह में  हमने मन को बहलाया हाँ भूलेंगे उनको हम  जिनसे धोखा खाया  उनकी बातें मगर सुनेंगे  हृदय छिपाकर अपना ग़म  चलो भूलकर बीती बातें नए तराने गाएं हम।  बदलेंगे पत्ते तरुवर  अपना लिबास वो बदलेंगे  आज हमें कल किसी ओर को  चादर छल की वो सौंपेंगे दूर रहें उन खु़दगर्जों से किस्सा करदें यहीं खतम चलो भूलकर बीती बातें नए तराने गाएं हम।  उनके मनके भंवरे की  गुनगुन गुंजार भी गूंजे तो नए वर्ष में उस भंवरे की  बातों में ना जाना खो  हर डाली हर पुष्प पे साथी  बैठा होगा वो हरदम  चलो भूलकर बीती बातें नए तराने गाएं हम।  सुनीता बिश्नोलिया