#भिक्षा (आस-बिखरे सत्य से समेटे कुछ आखर..) विनय की माँ फेरों से ठीक पहले विनय और उसके पिताजी पर चिल्लाती है.. मैंने आपसे पहले ही कहा था कि ये लड़की मेरे बेटे के लिए ठीक नहीं...इसका चरित्र..इतना सुनते ही राधा बहन अपनी आँखों से आँसू पोंछते हुए बोली...ले जाओ बारात वापस लेकिन..अब अगर एक शब्द भी मेरी बेटी के खिलाफ निकाला तो तुम लोगों की खैर नहीं...तुम्हारी माँगे पूरी नहीं करेंगे तो तुम मेरी बेटी पर कलंक लगाओगे...मुझे किसी बात का डर नहीं जाओ जहाँ भी मेरी बेटी की तस्वीर छापनी है छपवा दो...और सुमन के पिताजी ने कहा..मुझे अपनी सुमन पर विश्वास है..किसी और के विश्वास की जरूरत नहीं....तुम जैसे लालची लोगों से मुझे अपनी बेटी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं...जाओ वरना अब पुलिस ही तुम लोगों को ले जाएगी। आँखों में आँसू लिए ..माता-पिता के डर से चुपचाप बैठी सुमन को भी माँ की बातों से जोश आ गया और वो भी खड़ी होकर बोलने लगी...विनय चले जाओ यहाँ से..मुझसे गलती हुई जो मैंने तुम से प्यार किया....मेरे माता-पिता ना चाहते हुए भी इस रिश्ते के लिए तैयार हुए....और तुम लोग क्या निकले...लालची- लोभी भि
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia