#मंजिल मंजिल को पाने को राही,ठोकर तो खानी ही होगी, कठिन मार्ग है पहले खुद को,राहें तो बनानी ही होगी। मुश्किल देख राह से मुड़ना,है बहुत बड़ी कमजोरी, मुश्किल को ठोकर मार हटाना,काम नहीं है भारी। बाधाओं को बना कभी मत,अपनी राह का रोड़ा, मानव ने अपनी शक्ति से,है ह्रदय अचल का तोड़ा। खुद से चलकर मंजिल ना कभी, दर पे तेरे आएगी, राह सुझा खुद तुझको मंजिल,दे आवाज बुलाएगी। प्यास तेरी को तृप्त है करने,कूप कभी ना आएगा, आलस त्याग निकल राहों पर,निश्चय मंजिल पाएगा। अर्जुन ने लक्ष्य को पाने को,ना अपना ध्यान हटाया था, अपने विवेक से अर्जुन ने तब, लक्ष्य अपना पाया था। यों अंतर्द्वंद से ना जूझो,खुद पर विश्वास अटल रखो, खुद चूमेगी मंजिल कदम तेरे,धैर्य जरा सा तुम रखो। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर (राजस्थान)
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia