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मंजिल

#मंजिल मंजिल को पाने को राही,ठोकर तो खानी ही होगी, कठिन मार्ग है पहले खुद को,राहें तो बनानी ही होगी। मुश्किल देख राह से मुड़ना,है बहुत बड़ी कमजोरी, मुश्किल को ठोकर मार हटाना,काम नहीं है भारी। बाधाओं को बना कभी मत,अपनी राह का रोड़ा, मानव ने अपनी शक्ति से,है ह्रदय अचल का तोड़ा। खुद से चलकर मंजिल ना कभी, दर पे तेरे आएगी, राह सुझा खुद तुझको मंजिल,दे आवाज बुलाएगी। प्यास तेरी को तृप्त है करने,कूप  कभी ना आएगा, आलस त्याग निकल राहों पर,निश्चय मंजिल पाएगा। अर्जुन ने लक्ष्य को पाने को,ना अपना ध्यान हटाया था, अपने विवेक से अर्जुन ने तब, लक्ष्य अपना पाया था। यों अंतर्द्वंद से ना जूझो,खुद पर विश्वास अटल रखो, खुद चूमेगी मंजिल कदम तेरे,धैर्य जरा सा तुम रखो। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर (राजस्थान)

मासूमों की पीड़ा

#आज भी वो बच्चा सोचा था आज कुछ शांत होकर चाय पी जाएगी, ना भागम-भाग ही होगी, ना काम की चिंता ही सताएगी। सुबह के पाँच बचे हैं, अखबार का इंतजार और हाथ में चाय का प्याला, सुबह-सुबह फिर वो दृश्य, मेरी सुबह को फीकी कर गया, अधखुली आँखों में दर्द भर गया। आज फिर वो नन्हा कूड़े में हाथ मार रहा है, कचरा बीनते बीनते ही शायद अपना बचपन संवार रहा  है। अल सुबह ह्रदय पे घाव गहरा दे गया वो कचरा उठाता बालक, समाज के कटु सत्य से परिचय करा गया। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर