#आज का दोहा #23/5/18 पानी-पानी जग हुआ,देखा ऐसा काज। पानी आँखों का मरा,तन नोचें बन बाज।। पंच-तत्व काया बनी,पानी है आधार। बिन पानी जीवन कहाँ,जल से हाहाकार। बिन पानी काया नहीं, पानी प्यास बुझाय। पानी से काया बनी,पानी बिन बह जाय।। सिर पे ले गागर चली, सखी कूप की ओर, रिक्त कूप को देख के,तकत रहि चहूँ ओर।। .उनका दुःख पहचानिए,तरस रहे इक बूँद। जल को सब रखें बचा,रहें न आँखें मूँद।। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia