#राम,सीता,लक्ष्मण,हनुमान,,रावन राम-नाम मुख से रटें , करते करते काले काम, पाप आचरण खुद करें,करें ईश्वर को बदनाम। कोमल सीता सी नहीं , रही आज की नार। दुष्टों का बिजली सी वो, करती हैं प्रतिकार। तलवारें भी तन रहीं, भाई-भाई के बीच राम-लखन को कोसता,तरकश हरदम खींच। भक्ति में डूबा नहीं, आज भक्त हनुमान। ईश्वर से पहले माँगता, कार्य पूर्ति प्रमाण। स्वर्ण महल चहूँ ओर है,रावण के भी आज मित्र मण्डली छुपा रही,उसके हर एक राज। #सुनीता बिश्नोलिया © #जयपुर (राजस्थान)
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia