#अंतर्मन रहे मान-स्वाभिमान न हो जरा अभिमान करें सबका सम्मान अंतर्मन जागिए।। न मन में राग-रंग रहे सदा ही उमंग चंचल न ज्यों पतंग अंर्तमन जानिए।। न हो द्वार कोई बंद न मनों में अंतर्द्वंद सबसे प्रेम-संबंध अंतर्मन देखिए।। करें नहीं भेद-भाव सबको सुखों की छाँव मिटा दें धूप के घाव अंतर्मन झांकिए।।
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia