बुआ कहती थी कि भारत-पाक विभाजन के समय पाक से बहुत से लोग सीकर आए, सरकार द्वारा शेखपुरा मोहल्ले में उनके रहने लिए अस्थाई में व्यवस्था की गई। कुछ समय बाद उन्हें स्थायी रूप से वहीं बसा दिया गया। उन्हीं के बीच में है हमारा घर। इसीलिए विभाजन का जो चित्र बुआ हमारे समक्ष प्रस्तुत करती थी उसे सुनकर हमारी आँखों के समक्ष भी भगदड़, डर और भूख का दृश्य उपस्थित हो जाता था और अपने पति को खोकर तीन बेटों के साथ पाकिस्तान से आई अम्माजी और पड़ौस में रहने वाले अन्य सिंधी और पंजाबी परिवारों के मुखियाओं की आँखों से विभाजन के दर्द को छलकते तो मैं भी देख चुकी हूँ। खैर ये सब बातें फिर कभी.. आज जब पूरा विश्व #कोरोना महामारी से जूझ रहा है भारी संख्या में शहरों से गांवों की ओर तो पलायन करते लोगों को देख कर मुझे बुआ के द्वारा बताई बातें याद आ रही हैं लेकिन दूसरे ही पल शहरों से गांवों की ओर पलायन करते लोगों को देखकर आँखें छलक उठती है और सोचती हूँ आज दिखाई देने वाला दृश्य उस दृश्य की अपेक्षा अधिक भयावह और शर्म से नजरें झुकाने पर मजबूर करने वाला है।क्योंकि उस समय जान बचाने के लिए विभाजन और साम्प्रदा
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia