चौथा #चतुर्थ नवरात्र नवरात्र-पूजन के चौथे दिन माँ दुर्गा के कुष्माण्डा स्वरूप की आराधना की जाती है। कहते हैं जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः माँ कुष्मांडा ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। जहाँ किसी के सूर्य के पास जाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती वहीं माँ की क्षमता है कि वो सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं के । इसी कारण सूर्य के तेज के प्रभाव sसे ही इनके शरीर की कांति और प्रभा दैदीप्यमान हैं। सिंह की सवारी करने वाली, अष्टभुजाधारी माँ के सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशमान हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इनका तेज, इन्हीं की छाया है। Navratri 2020 नवरात्रि का पाँचवा दिन-- स्कंदमाता : (Skandmata) नवरात्रि के पांचवें दिन दुर्गा के स्कंदमाता स्वरुप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वात्सल्य की मूर्ति स्क
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