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शकुंतला शर्मा की कविताएँ

वरिष्ठ साहित्यकार शकुंतला शर्मा की बेहतरीन कविताएँ   कविता        धनुष:दहेज़ का  जनक का रखा  प्रतिज्ञा  धनुष राम,,,,,, तुमने तोङा  और ,,पाई  सुकन्या  सीता मर्यादा  व शक्ति पुरूष ने  नारी मन को जीता आज मेरे पिता ने भी रख दिया है धनुष,,,,दहेज़  का कौन  तोङ पायेगा यह धनुष  कौन  पूरी करेगा प्रतिज्ञा  मेरे  पिता की मेरे राम,,,,,,,। तुम्हारे  बाद  किसी ने आज तक धनुष क्यों नहीं तोङा  मेरे  हाथ की वरमाला  सुरभिहीन  रंग हीन  कुम्हलायी क्यों है ? मेरी  वरमाला   तुम्हारा  शृंगार   क्यों नहीं बन सकी  क्यों????? आजतक। हे,मेरे  समाज के  राम  मेरा ,,कुँवारा  मन कहता है, धनुष हाथ में लेकर तोङने की बजाय  आगे पैर बढाना ही काफ़ी है  मेरे पिता के लिए । शुरूआत  तुम से ही होगी मेरे राम,,। आओ मेरे राम,  मुझे  पाओ   मेरे राम,,,,,।      शकुन्तला शर्मा सहायक निदेशक           जयपुर     कविता   एक सोच मेरा शैशव , मेरा बचपन नादान उम्र गालों पर  आँसू                    आँसुओ का बहना                    आकर माँको कहना                    बेहिसाब नहीं सहना                    वो ऐसे  हैं वैसे  हैं

हिंदी कविता - लीलटांस #नीलकंठ

लीलटांस#नीलकंठ                      लीलटांस #नीलकंठ             अमृतसर ट्रेन हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि नहीं देखा था उन्हें किसी कुप्रथा या अंधविश्वास को मानते पर.. कुछ परम्पराएं थीं जो निभाते रहे सदा। दादा जाते थे दशहरे पर लीलटांस देखने  उनके न रहने पर  जाने लगे पिता।  घर से कुछ ही दूर जाने पर  दिख जाता था तब  धीरे-धीरे दूर होता गया  पिता की पहुँच से लीलटांस।  जाने लगे पाँच कोस खेत तक  ढूँढने उसे  हमारी साथ जाने की ज़िद के आगे हार जाते..  किसी को कंधे पर तो  किसी की ऊंगली थाम  बिना पानी पिए,  चलते थे अनवरत दूर से दिखने पर  लीलटांस... लीलटांस...  चिल्ला दिया करते थे  हम बच्चे.. और  .                            लीलटांस # नीलकंठ                                 विरह गीत  भी पढ़ें  बिना पिता को दिखे  उड़ जाता था लीलटांस, उसी को दर्शन मान रास्ते में एक वृक्ष रोपते हुए  लौट आते थे पिता घर,  अंधविश्वास नहीं  विश्वास के साथ। फिर से घर के नजदीक  दिखेगा लीलटांस।  सुनीता बिश्नोलिया ©®

सुप्रभात #good morning

सुप्रभात #good morning  आई फिर से भोर सुहानी, स्वर्णिम से परिधानों में, किया बसेरा डाली - डाली, खेतों और खलिहानों में दूर निशा का किया अँधेरा, कण - कण को उजियाला दे, देख जगत में घोर निराशा, आशा भरती अरमानों में ।। सुप्रभात #good morning  आई फिर से भोर सुहानी, स्वर्णिम से परिधानों में, किया बसेरा डाली - डाली, खेतों और खलिहानों में दूर निशा का किया अँधेरा, कण - कण को उजियाला दे, देख जगत में घोर निराशा, आशा भरती अरमानों में ।। सुनीता बिश्नोलिया © ®  सुनीता बिश्नोलिया © ® 

सुप्रभात # good morning

Good morning  रवि संग रश्मि देखकर, किया पवन ने शोर।  पीछे - पीछे आ गई, ले आशा नव भोर।। जीवन.. आ हँस लें #Good morning #सुप्रभात  रवि संग रश्मि देखकर, किया पवन ने शोर।  पीछे - पीछे आ गई, ले आशा नव भोर।। सुनीता बिश्नोलिया © ® 

हिंदी कविता - - जीवन.... आ हँस लें

हम भी हँस लें...  photo - Rajesh Jamal  रंगी इस दुनिया के रंग में      रंग लें खुद को यार ज़रा सा  हम पर हँसती इस दुनिया पर       हम भी हँस लें यार जरा सा। गुब्बारे से इस जीवन का     क्या परिचय है बचपन से,  आ संग उड़ लें हम दो पँछी         कर जीवन से प्यार ज़रा सा। the_stolen _camera  कटा दिन पूछ मत तुझ बिन, शाम तक आँख भर आई सड़कों पर ही रहना हमको         क्या यही भाग में अपने है,  आ हम भी मेहनत से पा लें           हो सपनों का संसार ज़रा सा।              मस्त-मगन सब है दुनिया में    हम जैसों की बात कहाँ,  आजा हम भी मन की कर लें    अपना भी अधिकार जरा सा।  सुनीता बिश्नोलिया © ® 

सुप्रभात # good morning

सुप्रभात #सुप्रभात.. सुप्रभात #good morning  अंगड़ाई सूरज ने ली,            कर खोल रहा धीरे धीरे, चली यामिनी वसन,             खग-कलरव यमुना तीरे। good morning सुप्रभात  सुनीता बिश्नोलिया © ® सुनें like and subscribe 

शुभ रात्रि

शुभ रात्रि रात चाँदनी गा रही, मीठे मधुरिम गीत खिला - खिला चंदा गगन,  रजनी का मनमीत ।। सुनीता बिश्नोलिया © ®