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सुप्रभात #सुप्रभात #goodmorning

सुप्रभात #सुप्रभात    #नव भोर #goodmorning  सुप्रभात  उजाला सुबह ले के फिर आ गई     लगती धरती पे किरणों की आभा नई,  सोये जो थे निशा के निमंत्रण पे वो     दिल में उनके दिवस-नव की ऊर्जा नई।। सुनीता बिश्नोलिया ©® सुप्रभात  हुआ सवेरा चिड़िया चहकी,         कली चटक गई बागों में,  मंदिर में मोहन तान बजी         मन डूब गया उन रागों में।।  सुनीता बिश्नोलिया ©®

सुप्रभात #भोर शुभ सुबह #good morning

सुप्रभात #शुभ सुबह #भोर #good morning  हुई सुहानी भोर  बटोही  बहुत हुआ विश्राम,  तेरी मंजिल दूर मुसाफिर  अभी  कहाँ आराम टेढ़ी मेढ़ी  इन राहों में  तुझको चलते  जाना है,  हिम्मत से तू मस्त चलाचल  जीवन है संग्राम ।  लीलटांस  आ हँस लें हरि को शीश नवाइए,            तज डीजे अभिमान।  छोड़ भेद मन से करें,            एक ब्रह्म गुणगान ।। 

शरद पूर्णिमा #पूनम की रात- दोहे

शरद पूनम की रात  पूनम की इस रात में,उजियारे के गीत।  दिवस उष्ण अब ढल गया ,आया मौसम शीत।। निशा नवेली नौलखा,पहना चंदा हार।  झिलमिल तारक ओढ़नी,करे गगन शृंगार।। छेड़ रही है चाँदनी, मिलन की मीठी धुन।  तेरी ही परछाई हूँ, चाँद पूनम के सुन।।  पूनम की इस रात में,उजियारे के गीत।  दिवस उष्ण अब ढल गया ,आया मौसम शीत।। रजनी पर यौवन चढ़ा,निखरे पल-पल रूप। खुले केश में यामिनी, दिखती बड़ी अनूप।। केशराशि को खोलकर ,हँसकर बोली रात।  ईश्वर ने बख्शा मुझे, ये चंदा सौगात ।।  रात कहे अंजान हूँ,किसको कहते धूप। धवल - ज्योत्सना से बढ़े,पल-पल मेरा रूप।।  कहती हैं ये चाँदनी,तेरा मोहक रूप।  चंदा तेरे कारणे, स्निग्ध मेरा स्वरूप।।  सुनीता बिश्नोलिया © ®

संध्या शाम साँझ... शरद पूर्णिमा

दिन का राजा चल दिया,अस्ताचल की ओर।  साँझ सुहानी आ गई, थामे दिन की डोर।।  स्वागत आतुर साँझ है,आ पूनम की रात।  क्षण भर तो आ मिल गले, हँसकर करले बात ।।  सुनीता बिश्नोलिया © ®

सुप्रभात #good morning

सुप्रभात #सुप्रभात #good morning  मन का छंटे अँधेरा सूरज ☀  ऐसी किरणें बिखराना बादल हटें निराशा के तुम  आशा पुष्प 🌸 खिला देना,  बाँट रहे जो घोर निराशा,  वो भी थोड़ा मुस्काएँ,  अँधियारी मन-गहन गुफ़ा में,  आशा जोत जला देना ।   सुप्रभात #सुप्रभात #good morning  लीलटांस  आ हँस लें स्वार्थ क्यों रात के अंधेरे में जला दी जाती हैं बेटियाँ क वर्तिका शकुंतला शर्मा की कविताएँ मुश्किल घड़ी मन का छंटे अँधेरा सूरज ☀  ऐसी किरणें बिखराना बादल हटें निराशा के तुम  आशा पुष्प 🌸 खिला देना,  बाँट रहे जो घोर निराशा,  वो भी थोड़ा मुस्काएँ,  अँधियारी मन-गहन गुफ़ा में,  आशा जोत जला देना । follow my page लहर Sunita Bishnolia - Facebook page Like and subscribe my youtube channel  

शकुंतला शर्मा की कविताएँ

वरिष्ठ साहित्यकार शकुंतला शर्मा की बेहतरीन कविताएँ   कविता        धनुष:दहेज़ का  जनक का रखा  प्रतिज्ञा  धनुष राम,,,,,, तुमने तोङा  और ,,पाई  सुकन्या  सीता मर्यादा  व शक्ति पुरूष ने  नारी मन को जीता आज मेरे पिता ने भी रख दिया है धनुष,,,,दहेज़  का कौन  तोङ पायेगा यह धनुष  कौन  पूरी करेगा प्रतिज्ञा  मेरे  पिता की मेरे राम,,,,,,,। तुम्हारे  बाद  किसी ने आज तक धनुष क्यों नहीं तोङा  मेरे  हाथ की वरमाला  सुरभिहीन  रंग हीन  कुम्हलायी क्यों है ? मेरी  वरमाला   तुम्हारा  शृंगार   क्यों नहीं बन सकी  क्यों????? आजतक। हे,मेरे  समाज के  राम  मेरा ,,कुँवारा  मन कहता है, धनुष हाथ में लेकर तोङने की बजाय  आगे पैर बढाना ही काफ़ी है  मेरे पिता के लिए । शुरूआत  तुम से ही होगी मेरे राम,,। आओ मेरे राम,  मुझे  पाओ   मेरे राम,,,,,।      शकुन्तला शर्मा सहायक निदेशक           जयपुर     कविता   एक सोच मेरा शैशव , मेरा बचपन नादान उम्र गालों पर  आँसू                    आँसुओ का बहना                    आकर माँको कहना                    बेहिसाब नहीं सहना                    वो ऐसे  हैं वैसे  हैं

हिंदी कविता - लीलटांस #नीलकंठ

लीलटांस#नीलकंठ                      लीलटांस #नीलकंठ             अमृतसर ट्रेन हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि नहीं देखा था उन्हें किसी कुप्रथा या अंधविश्वास को मानते पर.. कुछ परम्पराएं थीं जो निभाते रहे सदा। दादा जाते थे दशहरे पर लीलटांस देखने  उनके न रहने पर  जाने लगे पिता।  घर से कुछ ही दूर जाने पर  दिख जाता था तब  धीरे-धीरे दूर होता गया  पिता की पहुँच से लीलटांस।  जाने लगे पाँच कोस खेत तक  ढूँढने उसे  हमारी साथ जाने की ज़िद के आगे हार जाते..  किसी को कंधे पर तो  किसी की ऊंगली थाम  बिना पानी पिए,  चलते थे अनवरत दूर से दिखने पर  लीलटांस... लीलटांस...  चिल्ला दिया करते थे  हम बच्चे.. और  .                            लीलटांस # नीलकंठ                                 विरह गीत  भी पढ़ें  बिना पिता को दिखे  उड़ जाता था लीलटांस, उसी को दर्शन मान रास्ते में एक वृक्ष रोपते हुए  लौट आते थे पिता घर,  अंधविश्वास नहीं  विश्वास के साथ। फिर से घर के नजदीक  दिखेगा लीलटांस।  सुनीता बिश्नोलिया ©®

सुप्रभात #good morning

सुप्रभात #good morning  आई फिर से भोर सुहानी, स्वर्णिम से परिधानों में, किया बसेरा डाली - डाली, खेतों और खलिहानों में दूर निशा का किया अँधेरा, कण - कण को उजियाला दे, देख जगत में घोर निराशा, आशा भरती अरमानों में ।। सुप्रभात #good morning  आई फिर से भोर सुहानी, स्वर्णिम से परिधानों में, किया बसेरा डाली - डाली, खेतों और खलिहानों में दूर निशा का किया अँधेरा, कण - कण को उजियाला दे, देख जगत में घोर निराशा, आशा भरती अरमानों में ।। सुनीता बिश्नोलिया © ®  सुनीता बिश्नोलिया © ® 

सुप्रभात # good morning

Good morning  रवि संग रश्मि देखकर, किया पवन ने शोर।  पीछे - पीछे आ गई, ले आशा नव भोर।। जीवन.. आ हँस लें #Good morning #सुप्रभात  रवि संग रश्मि देखकर, किया पवन ने शोर।  पीछे - पीछे आ गई, ले आशा नव भोर।। सुनीता बिश्नोलिया © ® 

हिंदी कविता - - जीवन.... आ हँस लें

हम भी हँस लें...  photo - Rajesh Jamal  रंगी इस दुनिया के रंग में      रंग लें खुद को यार ज़रा सा  हम पर हँसती इस दुनिया पर       हम भी हँस लें यार जरा सा। गुब्बारे से इस जीवन का     क्या परिचय है बचपन से,  आ संग उड़ लें हम दो पँछी         कर जीवन से प्यार ज़रा सा। the_stolen _camera  कटा दिन पूछ मत तुझ बिन, शाम तक आँख भर आई सड़कों पर ही रहना हमको         क्या यही भाग में अपने है,  आ हम भी मेहनत से पा लें           हो सपनों का संसार ज़रा सा।              मस्त-मगन सब है दुनिया में    हम जैसों की बात कहाँ,  आजा हम भी मन की कर लें    अपना भी अधिकार जरा सा।  सुनीता बिश्नोलिया © ® 

सुप्रभात # good morning

सुप्रभात #सुप्रभात.. सुप्रभात #good morning  अंगड़ाई सूरज ने ली,            कर खोल रहा धीरे धीरे, चली यामिनी वसन,             खग-कलरव यमुना तीरे। good morning सुप्रभात  सुनीता बिश्नोलिया © ® सुनें like and subscribe