सुनो न रूठो..... आज मेरा भी मन है रूठने का सुनो न रूठो सुन भी लो ना,ओ मेरे मनमीत। धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।। मैं बहकी हूँ प्रीत में तेरी, तू मेरा चितचोर । हमदम मेरी साँझ तुझी से तुझसे है नव भोर।। देख सजन मैं तुझे मनाने, भूली जग की रीत। धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।। विरह गीत मस्त-मास में खिली धरा पर, मन मेरा बेचैन। तुझ बिन सारे फूल-शूल बन छीन रहे हैं चैन।। राजस्थानी गीत आ भी जा मधुमास मेरा जाए ना कहीं बीत। धवल चाँदनी में गाएँ हम,मधुर प्यार के गीत।। सुनीता बिश्नोलिया © ®
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia