सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

गनेरीवाला तालाब या फतेहपुर बावड़ी

  गनेरीवाला तालाब या फतेहपुर बावड़ी पारिवारिक कार्य से कल सीकर जिले के छोटे से शहर या यों कहें शेखावाटी की सांस्कृतिक राजधानी फतेहपुर शेखावाटी जाना हुआ। प्रोजेक्ट के सिलसिले में बहुत से मय से फतेहपुर जाने का विचार  था लेकिन नहीं पता था कि इस तरह अचानक वहाँ जाना हैं पड़ेगा। इस आकस्मिक यात्रा में प्रोजेक्ट से संबंधित तो कोई कार्य नहीं किया लेकिन वापसी में नव हाँ की एक दो हवेलियों और तालाब को जरूर देखा।    ये पहली बार नहीं था जब मैं इन एतिहासिक स्थलों को देख रही थी। इससे पहले भी इन्हें  कई बार देखा है। इस बार इनका स्वरुप पहले से ज्यादा बिगड़ चुका है जिसे देखकर बहुत दुख हुआ।        खासकर सीकर-फतेहपुर रोड़ पर स्थित गनेरीवाला तालाब या फतेहपुर बावड़ी। जिसे सामान्य बोल-चाल में यहाँ के लोग जोहड़ कहते हैं।      कैर, खींप, कीकर के वृक्षों से घिरा चार प्रवेश द्वारों वाली सुंदर और सरल वास्तुकला का उदाहरण गनेरीवाला तालाब। शायद कभी इस स्थान का उपयोग सांस्कृतिक गतिविधियों और सामाजिक कार्यों के रूप में किया जाता होगा। ऐतिहासिक स्थलों को देखने में अत्यधिक

suno kahani सुनो कहानी

कौन सुनाए किस्से कौन सुनाए कहानी  कहाँ है दादी... कहाँ है नानी... कैसे याद रहें किस्से और कैसे सहेजकर रखें हम कहानी.....  चूहागढ़ में चुनाव बच गया पेड़ और कुआँ cute kisan - Ronak S Tanwar    पहले सब मिलजुल कर रहते थे हर गांव मिलजुल कर बैठे थे,पीपल नीम की ठंडी छांव लेकिन आज गाँव सिमटने लगे  दादी नानी की कहानी की जगह  मोबाइल बजने लगे पढ़ाई का बोझ सताता हर रोज कौन सुनाए किस्से कैसे करें मौज लेकिन वैशालीनगर, जयपुर स्थित डिफेंस पब्लिक स्कूल में कहानी सुनने और सुनाने की कला अर्थात्‌ छात्रों के अभिव्यक्ति और श्रवण कौशल के विकास के लिए  हर वर्ष की भांति इस बार भी विद्यालय के हिंदी विभाग की तरफ से सुनो कहानी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।    चूहागढ़ के चूहे-Vedansh Mathur and Swabhiman  Cute किसान-Manan Arora  छात्रों ने इस प्रतियोगिता में बढ़चढ़कर भाग लेकर एक से एक बढ़िया, रोचक और प्रेरक कहानियाँ सुनाई। 

समीक्षा-भाग - 1.राजस्थानी काव्य-संग्रह काची-कूंपळ - शकुंतला शर्मा

    शकुंतला शर्मा - समीक्षा- भाग -  'काची-कूंपळ' काव्य संग्रह  लोकार्पण - काची-कूंपळ   "म्हारा बाबूजी तो कैंवता अबे कांई पढाणो है। छोरी है पढ़ाई छुडाकै ब्याव करणो जरुरी है, पढ़ावण रो खर्चो करणो जरुरी कोनी। "  "पण म्हारी माँ कैंवती आ म्हारी लाडो फेल न हुवै तांई तो पढली। "    माँ का विश्वास और शिक्षा की लगन लिए बालिका शकुंतला पढ़ती गई और आगे बढ़ती गई।      ना वो तब फेल हुई ना ही जीवन में  आगे ही कभी फेल नहीं हुई और पास होने का सिलसिला आज तक बदस्तूर जारी है।       तभी तो M. A. M.Ed आर. ई एस, आर. पी. एस प्रधानाचार्य तथा सहायक निदेशक शिक्षा संकुल जयपुर के पद तक पहुंचकर अपनी प्रतिभा सिद्ध की ।     किशोरावस्था से ही कहानी-किस्सों, कविताओं आदि में रुचि होने के कारण साहित्य और साहित्यकारों के प्रति सम्मान के साथ ही हृदय में साहित्य सृजन की अग्नि सुगबुगाने लगी। ये सेवानिवृति के बाद यह सुगबुगाहट बढ़ गई और धीरे धीरे शकुंतला जी को साहित्य सृजन की ओर ले गई।  विषय पर गहरी पकड़ और सौंदर्यबोध की सृजिका शकुंतला जी अपने अद्भुत लेखन कौशल द्वा

लोकार्पण - काची-कूंपळ - शकुंतला शर्मा

        समीक्षा - काची-कूंपळ - सुनीता बिश्नोलिया नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान की संस्थापक अध्यक्ष आदरणीय वीना चौहान जी और अध्यक्ष नीलम सपना शर्मा, उपाध्यक्ष शकुंतला शर्मा, सचिव मंजू कपूर, कोषाध्यक्ष निर्मला गहलोत, कमलेश शर्मा जी के प्रयासों से दिनांक 23 अप्रैल 2023  नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान, जयपुर की नवीन शाखा का वैशालीनगर, चित्रकूट में जाने माने साहित्यकार आदरणीय फ़ारूख आफरीदी ने विधिवत को उद्घाटन किया गया।  इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय शकुंतला शर्मा के प्रथम राजस्थानी काव्य संग्रह 'काची-कूंपळ' का लोकार्पण किया गया।         डॉ रत्ना शर्मा के कुशल संचालन मुख्य अतिथि प्रियंका गुप्ता (आई. ए. एस) अति विशिष्ठ अतिथि श्रीमती ऋचा चौधरी (सी. जे. एम) अति विशिष्ठ अतिथि श्री नीलेश चौधरी जी (सी. जे. एम)  के साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय फ़ारूख आफरीदी जी अध्यक्षता में सार्थक कार्यक्रम संपन्न हुआ।