सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Happy birthday beta - जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

🎂🎂🌹🌹Happy birthday  #सोना #Sona betu 🌹🌹🎂🎂
देखते-देखते कैसे कब हो गया
     तू नन्हा सा सोना युवा हो गया। 
कहते सभी लाडला है तू मेरा 
     मैं कहती हूँ तुमसे है रोशन सवेरा।
दूर रहते हो फिर भी हो तुम पास मेरे 
     माँ के आँचल के साये सदा साथ तेरे।
उजालों की राहों में भेजा तुम्हें है 
     राह उजली रहें तय ये तुमको है करना
दीप जगमग जले राहों में तेरी हरदम
    दूजों के हित दीप बनकर तू जलना।
 हक है तुम्हें फैसले खुद के लेना
     सही और गलत का मगर ध्यान रखना
  नादानियां हो ना जाए संभलना 
     रहना हो जैसे.. ना खुद को बदलना। 
हाँ बड़े हो गए तुम मगर याद रखना
     दिल बच्चे के संग तुम बच्चे ही रहना ।।
🎂🎂💕💕💕💕💕


🌹🌹Happy birthday 🎂 🎂 Sona Betu 

अँधेरे घने होंगे राहों में तेरी,
       जोत बनकर के जलना ही तो जिंदगी है,
गिर गया जो कभी पाने मंज़िल को प्यारे 
            गिरके फिर से संभलना ही तो जिंदगी है, 
पा खुशियों के मेले, मीतों के रेले, 
                भूल खुद को ना जाना आँखों के तारे, 
याद रखना उन्हें जिनका न कोई सहारा, 
            सहारा दूजों का बनना ही तो जिंदगी है।


💞💞💞Happy birthday 💞💞💞 my💞 'Sona..betuuu ...#Sunraj💞💞💞💞💞
✌थाम के अपनी नन्ही ऊँगली
                    ❆साथ मेरे चलता था
 कल ही की तो बात है सोना
                जब तुतलाया तू करता था।
पंख लगाकर समय पखेरू 
                 उड़ा और तुम तरुण हुए
तेरी आँखों में दिखते हैं
                 मुझको नित-नित ख़्वाब नए।
देख तुझे मुस्काऊँ 'सोना'
                      गर्व करूँ मैं तुझ पर।
रंग चढ़ा हैं आज भी
                   बचपन वाला तुझ पर।
समय के पंख लगे हों जैसे
                कितनी जल्दी बीत गया
बचपन बीता और वो तुम्हारा
                अंगुली पकड़ना छूट गया,
शुरू हुआ है नया सवेरा
                 तरुणाई का दौर तुम्हारा।    
बस ऐसे ही सदा रहना,
                 हो यों ही ह्रदय में प्रेम भरा।
यौवन की दहलीज पर 
                 बढ़ते कदम मुबारक हो
नए धरातल की धरती पर
               डग भरना तुम्हें मुबारक हो।💞💞





जीवन है संग्राम बटोही, तूफां से टकराजाना। 
फूलों की मत आशा करना,काँटों में चलते जाना। 
लेकर के आशीष सदा तुम,कर्म-धर्म की राहों में।
दुनिया के मेले में प्यारे ,नहीं भीड़ में खो जाना।। 
सुनीता बिश्नोलिया ©®



🎂🎂💕Happy birthday Sona betu💕🎂🎂
🌹🌹🌹🌹
देखते-देखते कैसे कब हो गया
     तू नन्हा सा सोना युवा हो गया। 
कहते सभी लाडला है तू मेरा 
     मैं कहती हूँ तुमसे है रोशन सवेरा।
दूर रहते हो फिर भी हो तुम पास मेरे 
     माँ के आँचल के साये सदा साथ तेरे।
उजालों की राहों में भेजा तुम्हें है 
     राह उजली रहें तय ये तुमको है करना
दीप जगमग जले राहों में तेरी हरदम
    दूजों के हित दीप बनकर तू जलना।
 हक है तुम्हें फैसले खुद के लेना
     सही और गलत का मगर ध्यान रखना
  नादानियां हो ना जाए संभलना 
     रहना हो जैसे.. ना खुद को बदलना। 
हाँ बड़े हो गए तुम मगर याद रखना
     दिल बच्चे के संग तुम बच्चे ही रहना ।।
🎂🎂💕💕💕💕💕


🎂🎂💕Happy birthday Sona betu💕🎂🎂
🌹🌹🌹🌹
देखते-देखते कैसे कब हो गया
     तू नन्हा सा सोना युवा हो गया। 
कहते सभी लाडला है तू मेरा 
     मैं कहती हूँ तुमसे है रोशन सवेरा।
दूर रहते हो फिर भी हो तुम पास मेरे 
     माँ के आँचल के साये सदा साथ तेरे।
उजालों की राहों में भेजा तुम्हें है 
     राह उजली रहें तय ये तुमको है करना
दीप जगमग जले राहों में तेरी हरदम
    दूजों के हित दीप बनकर तू जलना।
 हक है तुम्हें फैसले खुद के लेना
     सही और गलत का मगर ध्यान रखना
  नादानियां हो ना जाए संभलना 
     रहना हो जैसे.. ना खुद को बदलना। 
हाँ बड़े हो गए तुम मगर याद रखना
     दिल बच्चे के संग तुम बच्चे ही रहना ।।
🎂🎂💕💕💕💕💕


🌹🌹Happy birthday  🎂 🎂 Sona Betu 

अँधेरे घने होंगे राहों में तेरी,
       जोत बनकर के जलना ही तो जिंदगी है,
गिर गया जो कभी पाने मंज़िल को प्यारे 
            गिरके फिर से संभलना ही तो जिंदगी है, 
पा खुशियों के मेले, मीतों  के रेले, 
                भूल खुद को ना जाना आँखों के तारे, 
याद रखना उन्हें जिनका न कोई सहारा, 
            सहारा दूजों का बनना ही तो जिंदगी है।


💞💞💞Happy birthday 💞💞💞 my💞 'Sona..betuuu ...#Sunraj💞💞💞💞💞
✌थाम के अपनी नन्ही ऊँगली
                    ❆साथ मेरे चलता था
 कल ही की तो बात है सोना
                जब तुतलाया तू करता था।
पंख लगाकर समय पखेरू 
                 उड़ा और तुम तरुण हुए
तेरी आँखों में दिखते हैं
                 मुझको नित-नित ख़्वाब नए।
देख तुझे मुस्काऊँ 'सोना'
                      गर्व करूँ मैं तुझ पर।
रंग चढ़ा हैं आज भी
                   बचपन वाला तुझ पर।
समय के पंख लगे हों जैसे
                कितनी जल्दी  बीत गया
बचपन बीता और वो तुम्हारा
                अंगुली पकड़ना छूट गया,
शुरू हुआ है नया सवेरा
                 तरुणाई का दौर तुम्हारा।    
बस ऐसे ही सदा रहना,
                 हो यों ही ह्रदय में प्रेम भरा।
यौवन की दहलीज पर 
                 बढ़ते कदम मुबारक हो
नए धरातल की धरती पर
               डग भरना तुम्हें मुबारक हो।💞💞


🎂🎂🌹🌹Happy birthday  #सोना #Sona betu 🌹🌹🎂🎂

जीवन है संग्राम बटोही, तूफां से टकराजाना। 
फूलों की मत आशा करना,काँटों में चलते जाना। 
लेकर के आशीष सदा तुम,कर्म-धर्म की राहों में।
दुनिया के मेले में प्यारे ,नहीं भीड़ में खो जाना।। 
सुनीता बिश्नोलिया ©®

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सूरमा - रामधारी सिंह ' दिनकर' - # पाठ्यपुस्तक - # नई आशाएँ

पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '-    सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर '    सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है,     कायर को ही दहलाती है |    सूरमा नहीं विचलत होते,     क्षण एक नहीं धीरज खोते |   विघ्नों को गले लगाते हैं,       काँटों  में राह बनाते हैं |    मुँह से कभी ना उफ कहते हैं,    संकट का चरण न गहते हैं |    जो आ पड़ता सब सहते हैं,     उद्योग- निरत नित रहते हैं |    शूलों का मूल नसाने हैं ,     बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं |         है कौन विघ्न ऐसा जग में,      टिक सके आदमी के मग में?      खम ठोक ठेलता है जब नर,     पर्वत के जाते पाँव उखड़ |     मानव जब जोर लगाता है,      पत्थर पानी बन जाता है |           गुण बड़े एक से एक प्रखर,       हैं छिपे मानवों के भीतर       मेहंदी में जैसे लाली हो,       वर्तिका बीच उजियाली हो |      बत्ती  जो नहीं जलाता है,      रोशनी नहीं वह पाता है |     कवि परिचय -    #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर

जलाते चलो - - #द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

भावार्थ   जलाते चलो - -  #द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जन्म 1 दिसम्बर 1916 को आगरा जिला के रोहता गाँव में हुआ। उनकी मुख्य कृतियाँ - 'हम सब सुमन एक उपवन के' , 'वीर तुम बढ़े चलो'...  जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा। ये दंतुरित मुस्कान हंसिनी का श्राप भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी; मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी। क्यों लड़ती झगड़ती हैं लड़कियाँ बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा॥1॥ नारी अस्मिता और यथार्थ जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी; तिमिर की सरित पार करने तुम्हीं ने बना दीप की नाव तैयार की थी। पन्नाधाय नारी अब कमज़ोर नहीं बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा॥2॥ वर्तिका रूप नारी का युगों से तुम्हींने तिमिर की शिला पर दिये अनगिनत हैं निरंतर जलाये; समय साक्षी है कि जलते हुए दीप अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाये। प्रेम नदी और स्त्री मगर बुझ स्वयं ज्

हिंदी कविता - लीलटांस #नीलकंठ

लीलटांस#नीलकंठ                      लीलटांस #नीलकंठ             अमृतसर ट्रेन हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि नहीं देखा था उन्हें किसी कुप्रथा या अंधविश्वास को मानते पर.. कुछ परम्पराएं थीं जो निभाते रहे सदा। दादा जाते थे दशहरे पर लीलटांस देखने  उनके न रहने पर  जाने लगे पिता।  घर से कुछ ही दूर जाने पर  दिख जाता था तब  धीरे-धीरे दूर होता गया  पिता की पहुँच से लीलटांस।  जाने लगे पाँच कोस खेत तक  ढूँढने उसे  हमारी साथ जाने की ज़िद के आगे हार जाते..  किसी को कंधे पर तो  किसी की ऊंगली थाम  बिना पानी पिए,  चलते थे अनवरत दूर से दिखने पर  लीलटांस... लीलटांस...  चिल्ला दिया करते थे  हम बच्चे.. और  .                            लीलटांस # नीलकंठ                                 विरह गीत  भी पढ़ें  बिना पिता को दिखे  उड़ जाता था लीलटांस, उसी को दर्शन मान रास्ते में एक वृक्ष रोपते हुए  लौट आते थे पिता घर,  अंधविश्वास नहीं  विश्वास के साथ। फिर से घर के नजदीक  दिखेगा लीलटांस।  सुनीता बिश्नोलिया ©®