लोकार्पण एवं पुरस्कार वितरण समारोह - नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान एवं सपनाज़ ड्रीम्स चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर
हार का स्वाद चखकर ही जीत की राह मिलती
भला सागर के पानी में कभी क्या दाल गलती है,
हृदय उम्मीद की मीठी नदी का स्रोत बहने दो
मन की मीठी नदी संग चल राह मंजिल देखती है।
राजस्थान लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष एवं 'नारी कभी ना हारी' संस्था की संस्थापिका आदरणीय वीना चौहान दी का यही मानना है कि हार जाओ मगर जीतने के लिए..बिखरी हो टूटो मत, जुड़ना है और पंख फैलाकर उड़ना है। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ' नारी कभी ना हारी संस्था में आप ही की प्रेरणा से हर नारी उड़ने को बेताब है। आप भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी 'नारी कभी ना हारी' के माध्यम से महिलाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रही हैं।
स्वयं को एक साधारण पत्थर मानकर आँसुओं की गागर तले दबी अपनी सखी नीलम शर्मा को उनके ..अमूल्य होने का अहसास करवाकर पीड़ा के गहन समुद्र से बाहर निकलने में सहयोग किया।
माँ का ह्रदय कोमल,अश्रु निर्झर से बहते हैं
हृदय में टीस है उठती,कहानी आप कहते हैं
गिरा था बीज धरती पर इनके सपने एक लेकिन
सौ स्वप्न हैं सम्मुख, माँ की पीड़ा को हरते हैं।
नीलम सपना दी वो नाम है जो जिनकी नमकीन मुस्कराहट... नमकीन इसलिए क्योंकि इनकी मुस्कराहट में आँसुओं का नमक घुल गया। जैसे नमक के बिना हर चीज़ बेस्वाद लगती है वहीं नीलम सपना शर्मा के हाथ लगते ही स्वाद बढ़ाता साहित्य रूपी खाद्य सुपाच्य हो जाता है।
हम जब एक छोटा सा सपना भी देखते हैं तो उसे याद रखने और उससे अपने जीवन से जोड़ने का प्रयास करते हैं। किंतु एक सपना जो हकीकत बनकर आपके घर आंगन में अठखेलियाँ करता हो अगर वो काँच के प्याले की तरह टूट कर बिखर जाए तो ह्रदय से एक चीत्कार निकलती है किन्तु अगर एक सपने के टूटने के दर्द को -
'काया गार से काची' कहकर जीवन में आगे बढ़कर उसी स्वप्न का बीजारोपण कर नए सपने उगाने लगे उस जिजीविषा का नाम है 'नीलम सपना शर्मा' ।
अपने आंगन में खेलते सुहाने 'सपने' को देखती उनींदी माँ कैसे टूटने देती अपना सपना। नियति ने लाख कोशिश की माँ से उनका सपना छीनने की। बहुत कोशिश की उस बुलबुले को मिटाने की। बहुत दुःख, बहुत दर्द कभी आँसू तो खामोशी के सागर में डुबोने चली नियति भी हार मानकर नतमस्तक हो गई उस दृढ़ निश्चयी माँ के आगे। इसी जिजीविषा से अपने आँगन में खेलते कूदते अठखेलियाँ करते सपने को टूटने के बाद भी टूटने नहीं दिया और महादेव से लड़कर अपने सपने को युगों युगों के लिए अमर कर दिया।कहते हैं एक कामयाब पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है पर यहाँ मैं कहना
चाहूँगी कि एक कामयाब स्त्री को कामयाब बनाने एवं अपने आँसू छिपाकर दृढ़ चित्त से अपनी पत्नी के आँसू पोंछकर जो सदैव उनके साथ खड़े रहे हैं वो हैं आदरणीय रामकुमार शर्मा जी। क्या वात्सल्य की सरस्वती पिता के ह्रदय में नहीं बहती.. हाँ बहती है किंतु ईश्वर ने उसे यह शक्ति प्रदान की है कि वो अपने वात्सल्य और ह्रदय के दुख को छिपा सके। अपने वात्सल्य की सुरसरी के वशीभूत होकर आदरणीय रामकुमार शर्मा जी ने आर्थिक और मानसिक सहयोग प्रदान कर नीलम शर्मा जी के साथ खड़े रहे।
आपके और आपके परिवार के सहयोग के बिना नीलम शर्मा जी का इतना आगे बढ़ना और उनके सपने को पूर्ण होते देखना असंभव था।
ना तो माँ हारी ना ही पिता का सपना टूटा क्योंकि माँ ने अपनी आँखों से अपने सपनों के मोती बहाने से मना कर अपनी पलकें बंद कर लीं और आप दोनों ने बना लिया एक 'स्वप्नलोक' अपनी सपना के लिए।
'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया`
सपनाज ड्रीम्स चैरिटेबल ट्रस्ट और नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान जयपुर के साथ आज बड़ी संख्या में साहित्यकार जुड़े हुए हैं और खासकर महिला साहित्यकार प्रेरणा से सृजन कर सम्मान प्राप्त कर रही हैं।
आपके प्रयासों से 31 दिसंबर को स्वप्नलोक डाबीच (वाटिका रोड, तहसील फागी) में 'नारी कभी ना हारी लेखिका साहित्य संस्थान जयपुर एवं सपनाज ड्रीम्स चैरिटेबल ट्रस्ट जयपुर के तत्वावधान में आयोजित किया गया । आदरणीय वीना चौहान ने अपने प्रभावी स्वागत भाषण में ही अपने संस्थान का उद्देश्य स्पष्ट कर सभी को लेखन हेतु प्रेरित किया।
आदरणीय निर्मला गहलोत जी ने संस्था के वार्षिक कार्यक्रमों से अवगत करवाते हुए उनका लेखा जोखा प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती शकुंतला शर्मा अतिथियों के आगमन का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम के प्रांरभ में संस्था की ओर से वार्षिक कहानी प्रतियोगिता के अंतर्गत 2023 की विजेता कहानीकारों का साझा संकलन' स्वप्न वितान' के साथ ही नीलम सपना शर्मा द्वारा लिखित उपन्यास 'टीस' तथा लघु कथा संग्रह 'कभी धूप कभी छाँव' का विमोचन किया गया।लीला स्वामी जी की पुस्तक मशाल एवं अनुभूत स्मृतियाँ, तरावती सैनी की बसंती रंग ओर शकुंतला शर्मा की let the bird chirp का विमोचन भी इसी कार्यक्रम के अंतर्गत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. प्रबोध गोविल, मुख्य अतिथि डॉक्टर बजरंग सोनी, विशिष्ट अतिथि प्रो. गीता जोशी, अनिल कौशिक, सीए गजेन्द्र चौधरी (एनआरआई) ने की।
मन में सपनों के अंकुर को,क्यों ना फूटने दें हम
स्वप्न की सघन डालियों पर, करते खग हैं कई कलरव
परिंदों को स्वप्न तरुवर,की छाया लूटने दें हम।
सुनीता बिश्नोलिया
जयपुर
सुनीता जी बहुत ही सार्थक, ह्रदयस्पर्शी समीक्षा करके संस्थान को धन्यवाद कर दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद 🌺🌺🌺🌹💐🙏
हटाएंबहुत सुंदर, सार्थक समीक्षा। बधाई आप सभी को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद 💐🌺
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