#लोकगीत आओ जी ..आओ पावना..पधारो अठे पावणा सौंधी माटी री खुशबू मैं, ढोला-मारू आज बस्या है... म्हारी धोरण री धरती नै निहारो,प्रीत अठयां री जाँचो.. आओ आज अठे थे आओ...ओ प्यारा पावणा, म्हारा मीरा रा पद गूंज,वान सुणss संत सब झूमss आओ पावना...ओ प्यारा पावना। म्हारै जयपुर रो गढ़ ऊँचो, न दूजो बीकानेर सरीखो ..ओ देखो पावणा.. आओ जी आओ पावणा, ई रा ऊँचा नीचा-टीबा,जाँ मैं सर्पीला सा धोरा, रमोजी आमैं.प्यारा पावणा..पधारो प्यारा पावना, ई री घूमर री घूम मैं घुमो, गढ़ चित्तौड़ पे चढ़ बदल न चूमो..ओ प्यारा पावणा.. पधारो पावणा..आओ जी अठे पावना। फर्ज री खातिर सिर खुद काट लियो क्षत्राणी, जोहरी री आग मैं कूदी,मान बचायो थो क्षत्राणी, बां री पुण्य धरा पर आओ....वां री चिता नै सीस नवावो... आओ जी अठे पावणा...पधारो अठे पावणा.. आओ जी आओ पावना। मोरां बाई रा गीत सुनो जी..कालबेलियां संग नाचो जी ओ..प्यारा पावणा.. पधारो पावणा..आओ जी आओ पावणा. (अपने लोकगीत के माध्यम से राजस्थान के गौरवशाली अतीत और यहाँ के वीर-वीरांगनाओं का यशगान करते हुए यहाँ की विरासत..प्राचीन इमारतों को देखने के लिए पावणों अर्थात मेह
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia