#ये कैसी बहस
आज ताज को लेकर के क्यों एक बहस छिड़ी है
बुद्धि प्रदर्शन अपने की , क्यों होड़ मची है।
भूख,बीमारी और गरीबी के मुद्दे क्या कम हैं,
गौर से देखो भूख से ,मासूमों की आँखें नम हैं।
छोड़ के मुख्ये मुद्दों को ,ये भटक रहे हैं
इनकी उदासी के कारण,कार्य मुख्य अटक रहे हैं।
सीमा पर होती हलचल से,ये बेखबर रहते हैं,
विकास की राह में पड़े पत्थर,इनको ना दिखते है।
चटखारे लेकर सुनते सारे,और लार गटकते मुँह में,
टांग अड़ाते फटी चादर में,सच देख ना पाते क्यों हैं।
मुस्कुराता ताज खड़ा,लो आज जुबानी जंग छिड़ी ,
सांस्कृतिक-संगम की बातें,धुंधली क्यों है आज पड़ी।
कब्रिस्तान बताने वाले, खुद समाधि पूजने जाते हैं,
महलों के नीचे दबे श्रमिकों की,कुर्बानी भूले जाते हैं।
शहीदों की चिताओं पर, ये स्वर्णिम भारत महल खड़ा
चहुँ ओर इस स्वतंत्र देश में ,रक्त उनका बिखरा पड़ा ।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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