# सीता की शक्ति उस तृण की ताकत सिद्ध तो कर, उठ.. उठ.! सीता अब युद्ध तो कर। तब गिद्ध ने रक्षण की सोची , अब गिद्ध ने देह तेरी नोची। हिम्मत ना अपनी हार के चल, उस पापी का प्रतिकार तो कर, हे सीता अब लाचार ना बन, अपने शत्रु का संहार तू कर। लंका में तब एक रावण था, हर तरफ आज वो दुष्ट बसा। उस तिनके को हथियार बना, ना डर सीता तलवार उठा। गर फिर आए वो बन भिक्षु, नख से नोचन लेना चक्षु। नाजुक ना इसबार तू बन, वध उसका कर तलवार को चुन। नारी का शोषण करतों का भूतल से अब व्यभिचार मिटा, जन उद्धार के खातिर दुष्टों का उठ..उठ सीता तू पाप मिटा। कुदृष्टि डालते रावण को अपना, शक्ति स्वरूपा रूप दिखा। कोमल ना अब सीता है, नर को ये अहसास दिला। तब हनुमान ने मात कहा तुझको, तू बोल आज हनुमान कहाँ। लक्ष्मण रेखा की लाज
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia