सुप्रभात #नवभोर में आ हँस लें सुप्रभात पंछियों के गान में सुनता उषा के आगमन का शोर है, सो रहे हर प्राणी को कर्म का संदेश देती भोर है। भूल जाओ तुम हृदय की व्याधिया, रोक तू विश्वास से चलती हुई ये आँधियाँ।। सुनीता बिश्नोलिया © ® सुहानी भोर सूर्योदय भानू है ज्यों कनक-घट, राही हम गए ठिठक, स्वर्ण सी ये रश्मियाँ, आच्छादित धरा घने विटप। क्षितिज में प्रतीत है उदित, उत्तरोत्तर ताप अपरिमित, अभिभूत है नयन सभी, दिनकर को देख अवतरित। अद्घोषक उषा काल का, अंशुमाली आ रहा है, विचरण करे गगन में ये, सृष्टि को जगा रहा। पथिक हैं पथ पर खड़े, सूर्य -रोशनी पाकर बढ़े, माना घना ये ताप है, राह सूरज दिखाता आप है। नयनाभिराम दृश्य को,दृग , दृग भर रहे नयन में हैं, दर्शनीय सूर्य-रश्मियाँ, आह्लाद सबके मन में है।
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia