आज मैं रूठूँगी तुमसे
तुम साजन मुझे मनाना,
लिख लो कोरे कागज पर
जो कहूँ पिया तुम लाना।
आज न डालूँगी नैनों
देख पिया मैं कजरा,
गर ना लाए पिया महकता
फूलों वाला गजरा।
कह देती हूँ चूड़ा लाना
लाख का हीरों वाला,
और पिया मुझको पहनाना
खुद मोती की माला।
भूल गए जो मेरी बातें
सोच समझ घर आना,
आज मैं रूठूँगी तुमसे
तुम साजन मुझे मनाना।।
पायलिया कम लगी बोलने
ले आना तुम दूजी,
नई नवेली दुल्हन की ज्यों
सजने की है सूझी।
गोटे वाली ओढ़ चुनरिया
कुछ मैं भी इठलालूँ,
रूठ के तुमसे झूठमूठ
अपनी बातें मनवालूँ।
सोलह मैं श्रृंगार करूँ
देखूँ कोई बहाना,
आज मैं रूठूँगी तुमसे
तुम साजन मुझे मनाना।।
सुनीता बिश्नोलिया ©®
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