धरती धोरां री हर वर्ष 'शिक्षक दिवस' से पूर्व शैक्षणिक भ्रमण हेतु छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन हेतु जाया करते हैं पिछले दो सालों से कहीं जाना नहीं हो रहा। इसीलिए भ्रमण की यादें. जब निकल पड़ा था हमारा कारवां कुछ नए अनुभव समेटने । उद्देश्य छात्रों को गाँवों से जोड़ने,प्रकृति के अंचल में समाप्त होते रेतीले धोरों में खुले आसमान के नीचे स्वच्छंद इस पेड़ से उड़ते पक्षियों को निहारने की सुखानुभूति प्रदान करना। #कुछ छात्रों का रेतीले टीलों पर दौड़कर चढ़ जाना कुछ का धीरे -धीरे लक्ष्य प्राप्त करना और कुछ का मार्ग में ही पस्त हो जाना। आस-पास में बकरी और गायों को चराने वाले बच्चों,महिलाओं को बिना किसी परेशानी के पहाड़ी की चोटी पर चढ़ता देखकर पहाड़ तो नहीं पर पुनः रेत के टीलों पर चढ़ने का प्रयास कर सफलता प्राप्त करने की खुशी से झूमते बच्चों को देखकर प्रसन्नता का अनुभव तो हुआ किन्तु उनकी..हमारी जीवन शैली पर प्रश्न चिन्ह लगता दिखाई दिया #कुछ दृश्य मन को आनन्दित करनेवाले थे तो कुछ दृश्यों ने मन में आक्रोश भर दिया। मेरा मानना है अगर हम गाँवों को कुछ अच्छा नहीं
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia