#रुकना मत कठिन राह है तेरी मगर ना पस्त हौंसले करना, घायल पंछी तू भर#उड़ान, ना मंजिल से पहले रुकना। मंजिल से पहले बाधाओं को, देख पथिक ना घबराना, #जुबान कटुक सुनकर-सहना, अपना धीरज ना खोना। लक्ष्य से पहले पथिक तेरी, गर साँस-टूटे मत घबराना, मंजिल पाने को ऐ पंछी ! #कुर्बान तू चाहे हो जाना। तेरी राह रोकने को ऐ खग ! #तूफान जो आए मत रुकना, हों काल से सम्मुख आन खड़े, तो उनसे भी टकरा जाना। हे पथिक ! लक्ष्य को पाकर के, दंभ से तनिक ना भर जाना, फल युक्त वृक्ष सा झुक कर के, #मुस्कान जरा बिखरा देना। #सुनीता बिश्नोलिया
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia