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सर्दी की रात

#सर्दी की रात घने कोहरे से लिपटी रात... सांय-सांय करती हवाएँ सर्द एसी वाली गाड़ी में बैठ देर रात घर लौटते,कुछ ऐसा देखा, और मैं सिहर गई, खेत में नहीं आज फुटपाथ पर सोता #हल्कू देख रुक गई जबरा तो नहीं... हाँ फुटपाथ पर सोते उन लोगों को गर्माते साथी कुत्ते देखे। दांत किट-किटाती सर्दी में वो एक दूसरे का सहारा बने थे, सिकुड़ कर सोये ठण्ड में काँपते सोने की असफल कोशिश करते आदमी के साथ चिपका हुआ उसके शरीर को गर्माता,खुद को बचाता शायद उसके लिए भी सर्दी का आसरा वो कुत्ता देखा समझ नहीं आ रहा था आखिर कौन किस का आसरा ले रहा है? आधी रात ओस से भीग चुकी बीसियों छेद वाली वो कंबल में खुद को लपेटता वो मजबूर देखा स्वयं को बहुत कोसा...उसकी दशा से पीड़ित सी महसूस कर अपनी शाल उढ़ा कर चली आई पर एक...को!!!! आँखों में अश्रुधार और प्रश्न लिए चली आई किसी को क्यों नहीं दिखता ये हल्कू....???

उम्मीद

#उम्मीद #उम्मीद का अंकुर बंद तालों में भी खिलता, खोल तो ह्रदय के द्वार,यहाँ प्यार बेपनाह मिलता है। क्यों सड़ी-गली परम्पराओं की बेड़ियों में जकड़े हो, तोड़ के आगे आओ, क्यों बेवजह इन्हें पकड़े हो। मन में दबी इच्छाएँ, बंद तालों में दिख जाती हैं, पम्पराएँ सारी नहीं , बस कुछ ही पीछे ले जाती हैं। कब तक यों करोगे गुलामी , किसी और के दर पे आ के खोल दे ये ताला , जो लगा है ते घर पे । #उम्मीद के दामन को , ना छोड़, तू प्यारे सफलताएँ हैं बुलाती , तुझे बांहें पसारे। खुश हो कि तेरे मन में उगा,#उम्मीद का बूटा, अब भूल भी उस दिन को , जब दिल तेरा टूटा। अंकुर को उठा हाथ में , और माटी में लगा दे, तू तोड़ के हर ताले को 'पुष्प ' आशा के खिला दे। उम्मीद भरे पँखों से उड़ ,ऊँचा रे...! पंछी हर हद से गुजर जा, ओ!हारे हुए पंछी.. मंजिल को ऐ पंछी तू, अपने कदमों में झुका ले, हुँक्कार के प्रहार से ,सब तोड़ दे ताले .. बंधन के ओ! पंछी ना पी तू विष के पियाले, हर तोड़ के ताला ,आ... मुक्ति को गले से लगा ले। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर (राजस्थान )

इंतजार के पल

#इंतजार के पल मैं नियरे बैठी गहरे सागर,            फिर भी खाली है मन गागर। मन में उठती उन्माद लहर,            तटबंधन तोड़ चली आतुर। उद्वेग का झरना बहता मन,            शशि किरणें भी झुलसाए तन। शांत तरु भी ऋषियों सम,            अँधियारे के निशा पहन वसन। ह्रदय में अगन लगाय रही,            विरहन की पीड़ बढाय रही। पद-तल छूता है ये जलधि,             बीत रही जीवन अवधि। अवगाहन करता मेरा जिया,             प्रदीप्त ह्रदय में प्रेम-दिया। शंकाओं के ज्वार उठे            मेरे चित्त से सारेे स्वप्न मिटे। धराध्वस्त वो महल हुआ,           खंडहर में बैठी करूं दुआ। #सुनीता बिश्नोलिया                     

नव वर्ष

#31 दिसंबर 2017 #नववर्ष नव-वर्ष हर्ष लाएगा,ये उम्मीद हृदय में पलती है, कोमल मन की सच्ची आशा,सदा-सर्वदा फलती है। तोड़ चलें प्राचीन ये सारी,परम्परा हर भारी-भारी, रचने को इतिहास ह्रदय से,आज उठी है एक चिंगारी। दिल को गहरे कुछ घाव ये जाते,दे गया पुराना साल, लापरवाही छोड़ गई ,दिल में जलते हुए कई सवाल। आओ हम भी प्रण लें सारे ,मिलकर के इस वर्ष, हर चेहरा पुलकित होगा, और हर चेहरे पे होगा हर्ष। ढोंगी और भ्रष्टाचारी की ,कमर तोड़ मानेंगे, देश के रक्षा -यज्ञ में हम भी, समिधाएँ डालेंगे। विकास के पहिए को ,मिलकर हम राह दिखाएँगे, मार्ग में आते अवरोधक ,मिलकर ही हटाएँगे। संसाधनों का उचित हो वितरण,और उपयोग हो सीमित, हर भूखे का उदर तृप्त हो, बस इतना हो उनको अर्जित। मूल्यवृद्धि कम करने को हो ,जमाखोरों पर वार, नए साल में बरसे खुशियाँ , ऐसा हो व्यापार। स्वच्छंद पंछी की भाँति ,हर बिटिया भी उड़े आकाश, डर-भय ना हो उसे कहीं, राह में सुरक्षा का हो प्रकाश। ऐसी हो नव वर्ष में ईश्वर धरा भारती माँ की, विजय सदा वरण करे,उतारे आरती वो माँ की। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर

नन्हे पंछी

नन्हे पंछी उन्मुक्त ह्रदय स्वप्निल आँखें ,             उड़ चले पंछी ये खोल के पाँखें। नील गगन की सीमा तोड़ ,              चले ये खग जाने किस ओर। साथ सखा क्रीड़ातुर मन               प्रकृति लुटाती अपनापन । हरित वसुधा राह सजीली ,              पवन बह रही है  गर्वीली। उच्च लक्ष्य के साधक,                 लो चले क्षितिज को छूने, तिमिर धरा का हरने ,                 चले सूरज से ऊर्जा लाने। नव-उमंग और विलसित दृग,                 विश्वास भरे-भरते हैं डग । नूतन कलियाँ लो पुष्प सी खिल,                 आज चली हैं,ये हिलमिल। संसार में सम सौरभ फैलेगा,                  राह में जलते-चले हैं ये दीपक #सुनीता बिश्नोलिया

#जाधव

#जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद पति से मिलने की आशा में मिसेज जाधव ने अपनी सासू माँ के साथ आखिर कार पाकिस्तान के उस मुलाकात कक्ष के अंदर धड़कते दिल से कदम रखा।इस उम्मीद से ,इस सपने से कि पति के ह्रदय पर सिर रखकर उन्हें मजबूती प्रदान करेगी,उनके ह्रदय में आशा का संचार करेगी कि आप शीघ्र ही अपने घर आओगे। माँ भी बेटे को गले से लगाने के लिए आतुर...लेकिन ये क्या ? सामने का दृश्य देखकर सास-बहू ने कस कर एक-दूसरे का हाथ थाम लिया। माँ को बेटा दिखा,पत्नी को पति, लेकिन बीच में काँच की दीवार दोनों फूट-फूट कर रोना चाहती थीं लेकिन नहीं रो पाई वो नहीं चाहती थीं कि जाधव उनको देख कर दुखी हो। कुलभूषण भी माँ और पत्नी को देखकर खुश होने का प्रयास करते हैं...पर सन्न हो जाता है,पत्नी का सूना माथा,खाली माँग,मंगलसूत्र रहित गला देखकर और तो और नंगे पैर। माँ का ह्रदय में बेटे को गले से लगाने के लिए स्नेह और ममता का सागर हिलोरे ले रहा था,वहीं बेटा भी माँ के आँचल में छुप कर पीड़ा और दर्द को छुपाना चाहता था। लेकिन तीनों ही सुन्न हैं ,तीनो ही एक-दूसरे से अपनी पीड़ा, अपना दर्द छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं,एक-दूसरे को

हड़ताली डाक्टर्स

#मुझे शिकायत है हाँ...मुझे शिकायत है..शिकायत है उस भगवान से जो जब मन चाहे रूठ जाता है....रूठ जाता है उन भक्तों से उस समय भी जब इनको उस अद्भुत शक्ति की..उस हाथ की अति आवश्यकता होती है...उस समय वो मात्र साधारण हाथ नहीं.. साक्षात् ईश्वर का हाथ होता है जो स्वयं ईश्वर सम वो ईश्वर निजी स्वार्थ के वशीभूत होकर जरूरत मंद पर रखने हेतु मन कर देता है,मना कर देता है..रक्त से लथपथ घायल व्यक्ति का इलाज करने से....छुप जाता है भाग जाता है अपने कर्त्तव्य से मुख मोड़ कर...! वो भूल जाता है ...कि मैंने सच्चे हृदय से ताउम्र दीन-दुखियों,मृतप्राय और घायल व्यक्तियों की सेवा की शपथ ली थी। मुझे शिकायत है..कुछ ऐसे डॉक्टर समाज से जो ये भूल जाते कि उन्हें..उनके माता-पिता ने इतनी महँगी शिक्षा किस उद्देश्य से दिलवाई थी...क्या इसलिए कि वो अपनी इस शिक्षा पर अहंकार कर सके...साधारण जन के धन से महँगे जीवन का मूल्य ना जान सके। कुछ चिकित्सकों को छोड़ दें तो अधिकांश ने तो कर्त्तव्य को व्यवसाय ही बना लिया है..ऐसा पहली बार नहीं हुआ...कई बार देखा है....अपनी जरुरी और गैर जरुरी माँगों को मनवाने के लिए हड़ताल कर सरकार