#योग संगम दोहा- 1.भारत भू में योग की, बड़ी पुरानी रीत, भूल चला क्यों देश ये,सिखलाए जो प्रीत।। 2.नित्य योग सब कीजिए,दूर भगाएँ रोग। मन पर काबू पाइए, दूर हटेंगे भोग।। 3.संगम साथी आइये,मिल सीखेंगे योग, योग-गुरु कई हैं वहाँ,बड़ा अजब संजोग।। मुक्तक- 1.योग भारत की भूमि से,फैला है पूरी दुनिया में, योग के नाम से भारत,जाना जाता है दुनिया में। ऋषि-मुनियों की ये भूमि,योग-भूमि भी कहलाती, योग-मुनि देश भारत के,पूजे जाते हैं दुनिया में। 2.योग कर लो जहां वालो,ये न बेकार जाता है, ये जो चंचल है मनअपना,योग स्थिर बनाता है। नित्य जो योग करता है,होती रौनक हैचेहरे पर, योग काया के कष्टों को,जड़ से मिटाता है। 3.योग-संगम की शाला में,योग का पाठ सीखेंगे, योग नित-नेम से करके,स्वयं को स्वस्थ रखेंगे। योग शाला में चलते हैं,ऋषि-मुनियों से मिलते हैं, चलो संगम के साथी सब कदम मिलकर के रखेंगे। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia