# मुझे पढ़ना है अभी महावर मेहंदी न, बाबुल बस्ता ला दो मेहंदीवाली कड़ियाँ ना बाबुल पैरों में डालो। न पँख मेरे काटो बाबुल, न बेड़ी पैरों में डालो। अभी मेरे पैरों में घुँघरू, आखर के बजने दो, अभी मेरे पैरों में पायल जूते की सजने दो। छनक उठेगी शब्द सरिता कल-कल छल-छल बहती सुप्त मयूरा मन का बाबुल, बन कोयल वीणा गाती। बाबुल आखर की दुनिया से, बस पहचान करा दो, फिर इन पैरों में जंजीरे मेंहदी की बंधवा दो। पंख मेरे पैरों को आखर अपने आप ही देंगे। लोह-श्रंखला मेंहंदी वाली, ये खुद ही तोड़ेंगे।। #सुनीता बिश्नोलिया
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia