राहत इंदौरी... सादर श्रद्धांजलि 🙏 🙏 स्मृति को सादर नमन 🙏 🙏 "मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना!" हर दिल अजीज़ शायर राहत इंदौरी के निधन की ख़बर से हर कोई स्तब्ध है। अपने गीतों और नज्मों से महफ़िल लूट लेने वाले इंदौरी साहब ने अपने गीतों के द्वारा फिल्मों में भी अलग ही मुकाम बनाया। राहत इंदौरी के मशहूर शेर.. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है. अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया। एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो। बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए। ग़ज़ल घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना है। अब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है। जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो, इस मुसाफ़िर को तो रस्ते में ठहर जाना है। मौत लम्हे की सदा ज़िंदगी उम्रों की पुकार, मैं यही सोच के ज़िंदा हूँ कि मर जाना है। नश्शा ऐसा था कि मय-ख़ाने को दुनिया समझा, होश आया तो ख़याल आया कि घर जाना है।
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia