# धैर्य सुख और दुःख सहने की, कला कहाती है संयम, प्रतिकूल परिस्थिति में भी अविचल रहे जिसका मन। धरे धैर्य धरे जो बाधाओं में, वो निडर न घबराए, हर मुश्किल से धैर्य से, वो धैर्यवान कहलाए। पराकाष्ठ सहनशक्ति की , पार वही कर पाता है, धैर्य धरा के जैसा जिसके दिल में रहा करता है। धैर्य सिखाता हँसकर के सुख-दुःख में संयम रखना, धैर्य सिखाता क्रोध में भी स्वयं नियंत्रित रहना। पर्वत से सीखें धैर्य सभी, वो अडिग खड़ा रहता है, हर रोज वो लड़ता तूफानों से, पर धैर्य नहीं तजता है। माँ का देखो धैर्य नहीं माँ, कभी फर्ज से पीछे हटती, रात-रात भर जगती और पूत को कर बलिदान है माँ इतराती। उस वीर सिपाही के धीरज की मत लेना कभी परीक्षा, अपनों को छोड़ अपनों की वो ज्यों संत
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia