#छोटू
'छोटू...चाय नहीं बनी बेटा'..'अभी लाया' मास्टर जी कहते हुए छोटू चाय का कप लेकर आता है और मास्टर जी को पकड़ाता है।
चाय पीते हुए मास्टर जी कहते हैं..छोटू जल्दी चल देर हो जाएगी..मोहन भेज इसे ..मास्टरजी मैंने कहाँ रोका है..मैंने तो इसे पाँच बजे ही जगा कर पढने बिठा दिया था...और बाद में होटल के काम में मदद की है इसने ...अब देखिए ये तैयार है ।छोटू बस्ता लेकर आ जाता है...चलें मास्टर जी..नहीं तो मोहन भैया को कोई काम याद आ जाएगा..।मास्टर जी ने छोटू का कान पकड़ते हुए कहा...नहीं बेटा मेरा मोहन ऐसा नहीं है क्योकि ये भी कभी छोटू था ...बड़ा तो आज हुआ है..मन से बड़ा,ये अपनी होटल पर हर दूसरे साल एक छोटू को ले आता है...ये उसे पढ़ाता-लिखाता है..जैसे तुझे।
मास्टर जी मुझे बहुत ख़ुशी होती है...जब मेरा हर छोटू यहाँ काम के साथ पढ़-लिख कर बड़ा होता है...पता है मास्टर जी मुझ अनाथ के कितने भाई हैं..अब....सब मोहन भईया-मोहन भईया कहते रहते हैं,किसी भी होटल का छोटू आज तक बड़ा नहीं हुआ एक जाता है दूसरा आ जाता है पर देखो मैं बड़ा हो गया मेरा हर छोटू यहीं पढ़ कर बड़ा भी होता है पाँव पर भी खड़ा होता है ।मेरा बस चले तो मैं दुनिया से ये छोटू नाम ही मिटा दूँ... पर सब का भाग्य मेरे जैसा अच्छा कहाँ..कि सब को आप जैसा गुरु मिले जो पाँव पर खड़े होने की प्रेरणा दे...तभी छोटू कहता चलो मास्टर जी स्कूल.....मोहन भईया अब आप भी काम पर लग जाइये..हम चलते हैं।मोहन अनाथ छोटू को ढंग से पढ़ने की हिदायत देकर स्कूल भेज देता है... होटल पर कुछ लोग चाय पीने आ जाते हैं वो चाय बनाते-बनाते छोटू और मास्टर जी को जाते देखता रहता..
#सुनीता बिश्नोलिया
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