माँ शैलपुत्री - प्रथम नवरात्रि वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् || शारदीय नवरात्र नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के शैलपुत्री की आराधना की जाती है। माँ शैलपुत्री, माता दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। कहा जाता है कि पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं तथा इनका नाम था सती। कहा जाता है कि एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया उन्होंने इस यज्ञ में भगवान शंकर को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया । सती भी यज्ञ में जाना चाहती थी। शंकर बिना निमंत्रण वहाँ नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने सती को समझाया कि बिना निमंत्रण यज्ञ में जाना उचित नहीं। यज्ञ में जाने हेतु सती की प्रबल इच्छा देखकर भगवान ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो माँ का स्नेह मिला किन्तु बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव के साथ ही भगवान शिव के प्रति भी तिरस्कार का भाव था । दक्ष ने भी उन्हें तिरस्कृत किया। परिजनों के इस व्यवहार से सती बहुत क्षुब्ध हुई । वो अपने पति भगवान शंकर का अपमान नहीं कर सकीं और योगाग्नि द्वा
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