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#Jaipur, #Rajasthan
#Rajesh Jamal
आज है 11 अक्तूबर #अंतररष्ट्रीय बालिका दिवस।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा और उनके संरक्षण की जरूरत को पहचान कर दिसंबर 2011 में विश्व बालिका दिवस अर्थात् अंतरराष्ट्रीय बालिका मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया।
अंतरष्ट्रीय बालिका दिवस अर्थात् लड़कियों को समाज के हर कार्य क्षेत्र में समान सहभागिता हेतु तैयार करना। बालिकाओं को का परिचय शिक्षा के व्यापक रूप से करवाना और उन्हें विभिन्न कौशल में दक्ष करने हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना अर्थात् सीखने के अवसरों का विस्तार कर कार्य करने हेतु स्वस्थ, स्वच्छ और सकारात्मक माहौल तैयार कर स्त्री शक्ति और उत्साही, जागरूक कार्यकर्ता , शिक्षित माता, उद्यमी, सामाजिक रूप से मजबूत दृढ़ निश्चयी बालिका के रूप में संसार के सामने अपनी बात रखकर समाज में परिवर्तन लाने का सामर्थ्य विकसित होगा।
अंतरष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों को अधिकारों से परिचित कर समाज के विकास हेतु निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में अपनी क्षमताओं द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकने हेतु प्रेरित करने के लिए कटिबद्ध है ।
देखा जाए तो समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने वर्तमान समय में प्राचीन रुढियों का खंडन तो किया गया है किन्तु फिर भी ये रूढ़ियाँ ये
सड़ी-गली परंपराएँ समाज से पूर्णतः समाप्त नहीं हुई़। आज भी भ्रूण हत्या, बाल-विवाह, दहेज-प्रथा जैसी कुप्रथाएँ देश में पैर पसारे बैठी हैं। समाज का इन रुढियों से मुक्त होने के लिए लड़कियों को उनके अधिकारों से अवगत करवाना अत्यावश्यक है क्योंकि इन रुढियों के विरुद्ध जब लड़कियाँ आवाज़ उठाएंगी तभी समाज में परिवर्तन की बयार बहेगी।
लड़कियों को शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार और चिकित्सा जैसे अधिकारों हेतु जागरुकता आवश्यक है। वर्तमान समय में लड़कियों को उनके अधिकार देने और उनके प्रति जनसामान्य को जागरूक करने हेतु सरकार द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं।
इन प्रयासों के फलस्वरुप देश में अधिकांश लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं जाने लगी हैं, पढ़ाई पूरी कर रही हैं। अपनी शिक्षा पर भी ध्यान दे रही हैं। अब उनको कम उम्र में शादी करने के लिए भी बाध्य नहीं किया जा रहा है। चाहे हम कितने ही बालिका दिवस अथवा महिला दिवस मनाएं वे तब तक महत्त्वहीन रहेंगे जब तक महिलाओं और बालिकाओं पर शोषण और अत्याचार बंद नहीं होगा।
आइए हम भी पंछियों की तरह पंख फड़फड़ाती बालिकाओं को खुले आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ान भरने में मदद करें।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर साहित्यकार मित्र Mahesh Kumar जी की अद्वितीय रचना जिसे साझा करने से अपने आप को रोक नहीं पाई। आप भी पढ़िए
#बालिका दिवस की बधाई सहित💐
मेरे घर में लड़की
अच्छा नहीं लग रहा
ये क्या हो रहा है?
अचानक
मेरे घर में एक लड़की
उम्र में बड़ी और
शब्दों में छोटी होती जा रही है।
उम्र में छोटी थी तो न जाने
कितने शब्द थे उसके पास
ढेर था सवालों का,
अनंत थी उसकी
चकर चकर।
सबसे कुछ भी बोलती थी
कुछ भी पूछती थी
खिलखिलाती थी वो
और
खिलखिलाते थे वो
अचानक, ये क्या हो गया!
उम्र में बढ़ती ये लड़की
ख़ामोश होती जा रही है।
न शब्द रहे न बातें,
सवाल तो सारे सूख गए हैं मानो।
चकर चकर न जाने
कहाँ गुम हो रही है।
मैंने लोगों को कहते सुना है
अब इसे वो सब छोड़ना चाहिये
और ये सब करना चाहिये, क्योंकि
बड़ों की छोटी दुनिया में
लड़की बड़ी हो रही है।
महेश कुमार
#बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
#अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस
सुनीता बिश्नोलिया
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