बाल दिवस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं तुम्हारी नादानियों की चटकती कलियाँ और वो नटखट अंदाज़ से खिलते फूलों की खुशबु । गुदगुदा देती है। शिकायतों की पोटली से बाहर झाँकती कतरन सी एक-दूजे की प्यारी सी शिकायतें और प्यार के गुल्लक में बजते सिक्कों के से तुम्हारे स्वर। हँसा देते हैं। तने का स्पर्श पाने की ज़िद करते शाख के पल्लव की तरह कभी आगे की सीट पर बैठने के लिए लड़ना और कभी चुपचाप पीछे जाकर बैठ जाना बहुत याद आता है। सदा वसंत से खिलखिलाते हुए बिना बात मुस्कुराना और पानी पीने के बहाने से साथी को इशारे से बुलाना हर्षा देता मन को। बादलों में छिपते-निकलते चंचल चांद की तरह अठखेलियाँ करते हुए 'आज मत पढ़ाओ न मैम' कहकर प्यार से रिझाना मन में मिठास भर देता है। जल से भरी उमड़ती-घुमड़ती बदली की तरह बरसने हेतु आश्वस्त करना पर बहानेबाज सावन के बहकावे में बिन बरसे चल देने की तरह कॉपी के खो जाने और घर भूल आने का वही पुराना बहाना लगाना हँसा देता है। मेरे प्यारे नटखट हर बात तुम्हारी भर देती है आशा और नवऊर्जा मन में कब तक दूर रहेंगे हम जल्द ही छंटेगे ये
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia