बेसहारों का सहारा बन
सहारा बन ऐ साथी तू ,घूमते बेसहारों का,
फाँकते धूल सड़कों की,उन किस्मत के मारों का।
साथी सुनना जरा उनकी,नहीं मिलती जिन्हें मंजिल,
राह उनको दिखाना तू,बोझ सहना बिचारों का।
नहीं किस्मत को वो कोसें ,सोई किस्मत जगा देना,
जरुरत है उन्हें अपनी, साथ हमको हमारों का।
नहीं दुनिया है छोटी सी,कोई उनको बता देना,
पता देना कभी उनको जहां के हर नजारों का।
सहारा चाहिए उनको, न तू बदले में कुछ लेना,
उनको लड़ना सिखा देना,दिखा सपना बहारों का।
सुनीता बिश्नोलिया
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