#जमाना बदल गया है आज बदले जमाने के दस्तूर सारे, ना फूलों की परवाह मसले जाते हैं सारे। ये बदली हवा है , ये बदली फिजा है, न परवाह किसी को,खुद के सिवा है। हवा का वो चलना,मन में फूलों का खिलना, आज भूले सभी हैं,एक दूजे से मिलना। देशभक्ति की तब एक आंधी चली थी, खुद की भक्ति की अब तो हवा बह रही है। प्यार की मन में सुरभि हवा ही थी भरती, आज खोई है प्यारी सी वो अनुभूति। आज काला धुँआ भी हवा में समाया , मन की कलुषता का मैला हवा में उड़ा या। हवा से सिहर उठता है ,मन ये माना, फिर हवा को विषैला,क्यों करता जमाना। तूफान बनके हवा जब है बहती, तोड़ अभिमान सबका रूप अपना दिखाती। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia