मीठा पान
दादी कहती है बच्चे भगवान का रूप होते हैं।तो हमने भी मान लिया कि बच्चे भगवान का रूप होता है। एक दिन हम मंदिर गए मंदिर में सभी लोग भगवान की मूर्ति पर पैसे चढ़ा थे। ये देख हमारे मन में एक प्रश्न कौंधा कि ये पैसे कौन लेता है? भगवान तो बाजार में कभी देखे नहीं और उन्हें कोई चीज खरीदने की कहाँ जरूरत है। वो जो चाहते हैं वह जादू से उनके पास आ जाता है तो यह पैसे किसके हैं फिर दादी की बात याद आई कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो शायद यह पैसे हमारे हैं बहुत मनन चिंतन हुआ इस विषय पर फिर अंत में निर्णय लिया गया कि पैसे हम बच्चों के हैं आज किसी ने पूरा ₹1 चढ़ाया था ₹1 हम बच्चों का हुआ यह मानकर हमने ₹1 ले लिया और फिर हम बाजार को गए बाजार में कुछ रंग बिरंगी गोलियां खरीदी चॉकलेट खरीदी और एक पान भी खरीदा उस पान के तीन हिस्से हुए बड़ी दीदी मेरा और छाया का। हम तीनों ने बड़े मजे किए उस दिन और पान तो बहुत देर तक खाया फिर मन में एक विचार आया कि यह बड़े लोग पान खाकर थूक क्यों देते हैं? जबकि यह तो इतना मीठा और रसीला होता है पता नहीं लोगों का.....?
लोग जो थूक देते हैं न, वो मीठा नहीं होता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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