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राजस्थानी उपन्यास - गोमती भाभी

 उपन्यास (गोमती भाभी) लेखक - श्याम जांगिड़ 

 श्याम जांगिड़ जी द्वारा लिखित उपन्यास 'गोमती भाभी' पढ़तां आ बात पक्की हुयगी कै रिस्तां में छळ-कपट कोई नई बात कोनी। मिनख रै जलम रै साथै ई आं रो जलम भी होय जावै। गोमती भाभी उपन्यास मांय सास-बहु रै माध्यम सूं एक तरफ दो महिलावां रै संघर्ष री मार्मिक कहाणी कई गई है। दूसरी तरफ 'सिंगल पेरेंट' रो ढोल पीट्यां बिना आपरा टाबरां नै पाळती भावुक अर शक्तिशाली माँ ने दिखाई है। 
    एक तरफ जठै  विधवा सास आपरै ई परिवार सूं ई ठगी जा रई है पण शांति, संतोष एवं रिस्तां नै बचावण  खातर आपरी संपत्ति रो हक भी त्यागण तांई त्यार है। आत्मविश्वास अर कड़ी मेहनत रै बळ माथै इण घर री जिम्मेदारी रै साथै टाबरां रो  पाळण-पोसण अर पढाई-लिखाई अर ब्याव भी करया। माँ रै त्याग नै भूल'र बेटो पढ लिख'र सहर में ई बसग्यो। 
  पण माँ रो काळजो आपरै बेटा री तरक्की देख'र दूर सूं ई आसीस लुटावण लागै। बेटा रै दूसरै ब्याव री बात सुण'र माँ बहु रै साथै खड़ी दीखै। 
कच्ची उम्र में ब्याह कर आई गोमती अनपढ होणै रै कारण प्रोफेसर पति नै कदेई दाय नीं आई। फेर भी देहिक भूख री तृप्ति ताणी बो गोमती सूं संबंध बणाय'र उण रै सिर माथै दो  टाबरां री जिम्मेदारी गेर दी। अर खुद सहर मै दूजो ब्याव कर लियो।  
 पति रा दूजी औरत सूं संबंध री बात सूं अणजाण गोमती कदे ई जिम्मेदारियां सूं नीं भागी। बा एकली सगळी जिम्मेदारियां निभावती गई।पण बेटा नै पढण वास्तै प्रोफेसर पति कनै भेज्यो जद उणनै पति रे धोखै री बात रो ठाह पड़्यो। 
     बेटो भी घणा सुपना लेय'र पिता रै कनै गयो हो, पण पिता रै घरै दूसरी  लुगाई नै देख'र उण रा सगळा सुपना टूटग्या। 
    पराई औरत रै साम्है पिता री लाचारी अर खाणै रै नाम माथै टिफिन सेंटर सूं आयो खाणो देख'र बेटा निखिल रो दिल टूटण रा मार्मिक दृश्य  सूं पाठक री आँख्या सूं आँसू नीं रुकै।
      कांच रा टूटेड़ा महल नै समेटणो जियां ओखो होवै, बीं तरियां ई निखिल आपरा टूट्योड़ा  सुपनां री पोटळी संभाळनो ओखो होग्यो। बो आँख्या में आँसू भरयां निठ्यां घर लियो। 
      सारी बात जाण'र गोमती सौतिया डाह में बळती बेटा नै साथ लेय'र पति सुधीर सूं आपरो हक लेवण खातर शेरणी बणगी, पण पराई लुगाई रै सांम्है खुद रो अपमान होंवतो देख'र आपरा हाथां आपरो चूड़ो फोड़ खुद पति रो त्याग कर महिला सशक्तिकरण री मिसाल पेस करी। 
     आत्मविश्वास रै दम माथै आपरा  टाबरां नै उच्च शिक्षा दिरायर बां रै ऊजळै भविष्य रा दरवाजा खोल दिया। वगत रै सागै उणां री गृहस्थी बसा दी। महिला सशक्तिकरण री थोथी डींग हांकणियां नै भी इण उपन्यास सूं आ सीख जरूर मिलै है कै आत्मविश्वास अर परिस्थित्यां मिनख मांय अपणै आप सक्ति रो संचार कर उणनै गळत सूं लड़ण री प्रेरणा दे देवै। 
   प्रेम में धोखो खायोड़ै सुधीर नै पिछतावै री अग्नि में जळतां अर बीं रै साथ होंवती घटनावां दिखायर लेखक कर्म री महत्ता भी बताई है कै मिनख नै आपरी करणी रा फळ इणी जलम में भुगतणा पड़ै। 
   संवेदनावां सूं भरयो ओ एक भोत ई मार्मिक अर समाज री सच्चाई दिखावंतो सशक्त उपन्यास है। इण में महिलावां नै क्षमा अर दया री मूरत बतायर जीवण री आखरी घड़्यां गिणता पति नै माफ कर देवै। बठै ई गोमती भाभी री मोत रै बाद बै लिखै-" बाई गोमती भागण ही.. सुहागण  गई है!! कै लुगाई अैड़ी मोत तांई ही आखी उमर फोड़ा भुगतै? जीवतै जी उण रै फोड़ा रो कोई सीरी कोनी बणै,पण हंसो उड्याः पछै उण री ल्हासा रो आदर-मान हुवै! लुगाई जात रै जीवण री आ अैड़ी बिडंबना है? 
  या कैवतां लेखक समाज रै सामी एक भोत बडो  सवाल छोड ज्यावै। मोनिका प्रकाशन, जयपुर सूं छप्योड़ो अर 250 रिपियां रो यो एक पढ़णजोग उपन्यास है।
सुनीता बिश्नोलिया

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