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#worldearthday पृथ्वी_दिवस

#Worldearthday 
के उपलक्ष में Defence Public Jaipur के छात्रों - Kritarth Sharma, Arjun Sharma, Riddhiman Gajra4j, Ritika Choudhary, Laveena Mathur, Krishnaditya Gaur द्वारा पर्यावरण संरक्षण की सीख देता नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया ग 33 या। नुक्कड़ नाटक
  अरे हो जमूरे ! 
  *बोल क्या बात है, क्यों लटका है मुंह। 
  क्यों माथे पर हाथ है? 

  *सरकार गर्मी पड़ने लगी है भारी 
  तवे सी तपती धरती सारी। 

   *हां जमूरे गर्मी से सब हैं बेहाल
   तड़पते जन और पक्षियों का है भी बुरा हाल।
*. सही कहा सरकार..
   भीषण गर्मी में भी लोग कर रहे हैं नादानी      
    इसी की आज सुनाते हैं  हम कहानी.. 2

* अच्छा... तो सुनाओ..
   नहीं. नहीं ये पहले दिखाओ
  तुम्हारे पिटारे में क्या भरा है 
 तुम्हारा सौदा झूठा है कि खरा है।

* बात तो कहता हूँ खरी सरकार, 
   लोग कहते हैं देता हूं भाषण  और 
  करता हूँ बातें बेकार-2

* ऐसी क्या बात है, जरा हम भी तो जाने.. 
  तुम्हारी बातें होती हैं सच्ची, फिर क्यों बेकार कहते हैं सयाने-2

*  क्या कहूं सरकार...  
   आज सुबह ही तो पड़ोसियों में हो गई तकरार
  
  *तकरार....!!!  ओओओओओओ

  *क्या कारण था जमूरे .. 
*भीषण गर्मी में गर्म मिजाज
 छोटी-छोटी बातों पर लोग हो रहे हैं नाराज - 2

*हाँ जमूरे  गर्मी में दिमाग गरम है 
 कोई नहीं पड़ना चाहता नरम है - 2

*पानी की बढ़ती कमी सरकार 
लोगों के बीच बढ़ा रही है तकरार

* हां जमूरे है पानी की कमी से परेशान हैं लोग 
  गर्मी में बढ़ रहे हैं कई रोग 

* पर.. पर सरकार आज मेरा मूड ऑफ है 
  लोगों को ना बीमारियों का और 
  ना पानी की कमी का ही खौफ है-2
* कुछ तो बड़ा हुआ है जमूरे 
 बोलो क्यों तुम्हारे चेहरे पर उदासी छाई है 
 सदा मुस्कुराने वाली आँखें
  आज किसलिए भर  आई हैं - 2क्

  * क्या कहूँ सरकार 
  पड़ोसी बहुत बुरी तरह झगड़ रहे थे 
  एक तो पानी का दुरुपयोग 
  दूसरे गलती करके भी अकड़ रहे थे-2


* अच्छा ऐसी भी क्या बात हुई 
   कौन गलत था कौन सही? 

 *गर्मी की सुबह और पानी की कमी से     
  पड़ोसियों में ठन गई 
 छोटी सी बात पर बंदूकें तन गई - 2

*  हाँ.. रे जमूरे 
  पानी को व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए 
 यह तो जीवन है हमारा, 
 हमें इसे बचाना चाहिए-2


* बिन पानी है पेड़ भी सूखे 
 बिन पेड़ों के प्राणी भूखे 
भटके चिड़िया और कबूतर 
तड़प रहे बिन छाँव पखेरू। - 2
* लेकिन कुछ लोग मानते नहीं सृष्टि का अहसान 
 पानी गिराने में ही समझते हैं अपनी शान।

* एक महोदय अलसुबह बहुत इतरा रहे थे 
  घंटे भर से महाशय अपनी गाड़ी को नहला रहे थे। 

*  दूसरे भाई साहब भी कुछ कम नहीं थे 
   ब्रश करते हुए टहल रहे थे 
   शायद नल बंद करना  भूल गए थे।

* एक पड़ोसी सुबह सवेरे धोते हैं घर द्वार
 घर के बाहर करते हैं फिर पानी की बौछार-2 


* ये तो बहुत गलत है बात
   कोई उन्हें बताएं बिन पानी बहुत बुरे हो जाएंगे हालात-2

* ओह! कैसे हैं ये लोग नासमझ
  इतना भी ना जाने, 
  बिन पानी ना जीवन होगा 
  जल की कीमत ना पहचाने-2
* पानी हमें बचाना होगा - 2
 रे भईया पानी 
  पानी हमें बचाना होगा। 

    * सुनो रे भईया
      सुनो ओ चाचा -2

  * ठूंठ हो रहे वृक्ष  बिना जल
    बिन जल होगा बहुत बुरा कल। - 2


    * पेड़ ना होंगे, हवा न होगी 
       बिना हवा ना साँसें होंगी। 
*   कड़ी धूप में जलते पक्षी 
     बिना छांव, पशु भी बीमार   
     पानी  खातिर भटकें दर-दर
     बेघर पशु-पक्षी लाचार।

* दोहन करना व्यर्थ बहाना, 
    जल बिन कल का फिर होगा क्या...? - 2

* मरते पक्षी,लुप्त प्रजाति  
   बच्चों से बोलोगे  क्या ..? 

* एक मोर था, एक थी चिड़िया 
    तोता और कबूतर भी था....

* कभी आम की डाली बैठी, 
   कोयल गीत सुनाया करती

* कांव-कांव कौआ  करता  था
    बोली का दम वो भरता था। 

* भूले बिसरे पक्षी सारे
    बिन पानी मर रहे बिचारे। 
 
* तस्वीरें भी धुंधली होंगी 
         बिन पानी क्या दुनिया होगी। 

*  घर के आँगन पेड़ लगाएं
    टांगें परिंडा,पक्षी आएं। 

* हरी घास और जल की व्यवस्था 
   राह पे चलते पशुधन की, 
   हालत ना होगी फिर खस्ता।

*  आओ आओ मिलकर गाओ  
   सब जन मिलकर कसम उठाओ 
* पानी हमें बचाना है 
 धरा को जीवन देना - 2

 
सुनीता बिश्नोलिया 
 सर्वाधिकार सुरक्षित 

      
 




  
    
   



 

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