के उपलक्ष में Defence Public Jaipur के छात्रों - Kritarth Sharma, Arjun Sharma, Riddhiman Gajraj, Ritika Choudhary, Laveena Mathur, Krishnaditya Gaur द्वारा पर्यावरण संरक्षण की सीख देता नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नुक्कड़ नाटक
अरे हो जमूरे !
*बोल क्या बात है, क्यों लटका है मुंह।
क्यों माथे पर हाथ है?
*सरकार गर्मी पड़ने लगी है भारी
तवे सी तपती धरती सारी।
*हां जमूरे गर्मी से सब हैं बेहाल
तड़पते जन और पक्षियों का है भी बुरा हाल।
*. सही कहा सरकार..
भीषण गर्मी में भी लोग कर रहे हैं नादानी
इसी की आज सुनाते हैं हम कहानी.. 2
* अच्छा... तो सुनाओ..
नहीं. नहीं पहले दिखाओ
तुम्हारे पिटारे में क्या भरा है
तुम्हारा सौदा झूठा है कि खरा है।
* बात तो कहता हूँ खरी सरकार,
लोग कहते हैं देता हूं भाषण और
करता हूँ बातें बेकार-2
* ऐसी क्या बात है, जरा हम भी तो जाने..
तुम्हारी बातें होती हैं सच्ची, फिर क्यों बेकार कहते हैं सयाने-2
* क्या कहूं सरकार...
आज सुबह ही तो पड़ोसियों में हो गई तकरार
*तकरार....!!! ओओओओओओ
*क्या कारण था जमूरे ..
*भीषण गर्मी में गर्म मिजाज
छोटी-छोटी बातों पर लोग हो रहे हैं नाराज - 2
*हाँ जमूरे गर्मी में दिमाग गरम है
कोई नहीं पड़ना चाहता नरम है - 2
*पानी की बढ़ती कमी सरकार
लोगों के बीच बढ़ा रही है तकरार
* हां जमूरे है पानी की कमी से परेशान हैं लोग
गर्मी में बढ़ रहे हैं कई रोग
* पर.. पर सरकार आज मेरा मूड ऑफ है
लोगों को ना बीमारियों का और
ना पानी की कमी का ही खौफ है-2
* कुछ तो बड़ा हुआ है जमूरे
बोलो क्यों तुम्हारे चेहरे पर उदासी छाई है
सदा मुस्कुराने वाली आँखें
आज किसलिए भर आई हैं - 2क्
* क्या कहूँ सरकार
पड़ोसी बहुत बुरी तरह झगड़ रहे थे
एक तो पानी का दुरुपयोग
दूसरे गलती करके भी अकड़ रहे थे-2
* अच्छा ऐसी भी क्या बात हुई
कौन गलत था कौन सही?
*गर्मी की सुबह और पानी की कमी से
पड़ोसियों में ठन गई
छोटी सी बात पर बंदूकें तन गई - 2
* हाँ.. रे जमूरे
पानी को व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए
यह तो जीवन है हमारा,
हमें इसे बचाना चाहिए-2
* बिन पानी है पेड़ भी सूखे
बिन पेड़ों के प्राणी भूखे
भटके चिड़िया और कबूतर
तड़प रहे बिन छाँव पखेरू। - 2
* लेकिन कुछ लोग मानते नहीं सृष्टि का अहसान
पानी गिराने में ही समझते हैं अपनी शान।
* एक महोदय अलसुबह बहुत इतरा रहे थे
घंटे भर से महाशय अपनी गाड़ी को नहला रहे थे।
* दूसरे भाई साहब भी कुछ कम नहीं थे
ब्रश करते हुए टहल रहे थे
शायद नल बंद करना भूल गए थे।
* एक पड़ोसी सुबह सवेरे धोते हैं घर द्वार
घर के बाहर करते हैं फिर पानी की बौछार-2
* ये तो बहुत गलत है बात
कोई उन्हें बताएं बिन पानी बहुत बुरे हो जाएंगे हालात-2
* ओह! कैसे हैं ये लोग नासमझ
इतना भी ना जाने,
बिन पानी ना जीवन होगा
जल की कीमत ना पहचाने-2
* पानी हमें बचाना होगा - 2
रे भईया पानी
पानी हमें बचाना होगा।
* सुनो रे भईया
सुनो ओ चाचा -2
* ठूंठ हो रहे वृक्ष बिना जल
बिन जल होगा बहुत बुरा कल। - 2
* पेड़ ना होंगे, हवा न होगी
बिना हवा ना साँसें होंगी।
* कड़ी धूप में जलते पक्षी
बिना छांव, पशु भी बीमार
पानी खातिर भटकें दर-दर
बेघर पशु-पक्षी लाचार।
* दोहन करना व्यर्थ बहाना,
जल बिन कल का फिर होगा क्या...? - 2
* मरते पक्षी,लुप्त प्रजाति
बच्चों से बोलोगे क्या ..?
* एक मोर था, एक थी चिड़िया
तोता और कबूतर भी था....
* कभी आम की डाली बैठी,
कोयल गीत सुनाया करती
* कांव-कांव कौआ करता था
बोली का दम वो भरता था।
* भूले बिसरे पक्षी सारे
बिन पानी मर रहे बिचारे।
* तस्वीरें भी धुंधली होंगी
बिन पानी क्या दुनिया होगी।
* घर के आँगन पेड़ लगाएं
टांगें परिंडा,पक्षी आएं।
* हरी घास और जल की व्यवस्था
राह पे चलते पशुधन की,
हालत ना होगी फिर खस्ता।
* आओ आओ मिलकर गाओ
सब जन मिलकर कसम उठाओ
* पानी हमें बचाना है
धरा को जीवन देना - 2
सुनीता बिश्नोलिया
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