#औरत ज्योति-पुंज,है निकुंज, मातृ-शक्ति है,ये भक्ति भी है यथेष्ठ,सबसे श्रेष्ठ, ईश्वर की सूरत,स्वयं है औरत। इसका शुभ्र है चरित्र, सब सखा सभी हैं मित्र, अडिग-अचल है धरा , ह्रदय में प्रेम है भरा। कोमल सी है ये कामिनी, तेज है ज्यों दामिनी, सत्ता पुरुष की तोड़ती, निशां विजय के छोड़ती। आँगन में जलती जोत, महान- प्रेरणा की स्त्रोत, जीवन संगिनी,अर्धांगिनी, जिम्मेदारी से लदी लता घनी। साक्षात् सकल सृष्टि है, सब पे करती प्रेम-वृष्टि है, परीक्षा में सदा खरी, जूनून जोश से भरी । कैसा भी विचार हो, लोलुप सकल संसार हो निर्मलता का निर्झर है ये, जग की रखती हर खबर है ये। गुणों की ये है खदान , परम-पूज्या है महान। साश्वत सत्य है यही, सम्पूर्ण जैसे हो महि। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर