#वतन के वास्ते.. वतन के नाम पर जीवन,तमाम रक्खा हुआ है हमने तो वतन का नाम ही,मुहब्बत रक्खा हुआ है। हर साँस से सदा आती है,मादरे वतन के लिए, वतन के नाम का कफन,बाँध के रक्खा हुआ है। शोलों से गुजरता हूँ रोज,वतन के वास्ते यारो, मैंने तो हथेली पे अपनी जान को रक्खा हुआ है। दुश्मन छू भी न सके, मेरे देश की सरहद को, उनकी मौत को हाथों में,थाम के रक्खा हुआ है। हो जाऊँ गर कुर्बान,सरहद पे अपने वतन की इस दोस्त तिरंगे को,सीने से लगा रक्खा हुआ है। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर
साहित्य और साहित्यकार किस्से -कहानी, कविताओं का संसार Sunita Bishnolia