#ममता
माँ को याद रहा तेरा रुदन,
तेरा हँसना याद माँ करती है,
तेरे बचपन की यादों में गुम
माँ अश्रुधार छिपाती है।
इस विटप की छाँव भी अब माँ के ,
ह्रदय को दग्ध ही करती है,
कृश-काय हुई तेरी याद में माँ,
तेरी राह रात-दिन तकती है।
हृदय के द्वार खुले माँ के,
ज्यों खुला पड़ा दरवाजा,
जान बसा परदेस पूत,
माँ कहे लाल घर आजा।
माना तू नादान बहुत था,
बहकावे से बहक गया ,
माँ का आँचल छिटक बता,
तू किस दुनिया में भटक गया।
आजा रे! नादान परिंदे,
तोड़ के सारी कड़ियाँ,
क्यों रोक ना पाई तुझको,
माँ की प्रेम भरी हथकड़ियाँ।
माँ की आँखों का पगले ,
गुम हुआ देख उजियाला,
झुकी पीठ से राह तके,
माँ का जी मतवाला।
जीर्ण-शीर्ण से खंडहर सी बैठी
माँ पथ में पुष्प बिछाने,
छोड़ छलावे का जीवन,
तुझ बिन ये महल हुए वीराने।
#मौलिक
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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