#संगीत
झंकृत करदे तार ह्रदय के,
मन में जलता दीप,
थिरक उठे साँसों की वीणा,
वो होता संगीत।
मीरा की मोहनवीणा ने,
ह्रदय लिया है जीत,
बावरिया सी संतन संग
मीरा खोय रही संगीत।
कान्हा की मुरली का सुनकर,
मादक सा संगीत,
फड़क उठे राधा के नयना,
जगी अनोखी प्रीत।
सनन-सनन पुरवाई भी,
गाती होले से गीत।
घोल रही रस राधा की पायलिया,
देख के मन का मीत।
यमुना की लहरें भी मचलती,
सुन गोकुल के गीत,
चंचल लहरें कल-कल-छल-छल,
घोले अपना संगीत।
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
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