#गीत ...
नींद आती है माँ मुझको,
छुपा आँचल में माँ मुझको
याद आती है लोरी माँ,
सुना लोरी-मधुर मुझको।
नींद आती है....
सुनो पापा मेरे प्यारे,
झुलाओ बाँहों का झूला,
तेरे पहलू में है सोया,
देखो प्यारा तेरा लाला।
नींद आती है......
बड़ी खुदगर्ज दुनिया है,
रास ना मुझको आती है,
आप दोनों की नजदीकी,
यही बस मुझको भाती है।
नींद आती है.....
खुदा ने मुझसे क्यों छीना,
साया मुझको बताओ ना,
सूने से इस गुलिस्तां में,
अपने संग में सुलाओ न।
नींद आती है.....
सुकूं पाता हूँ मैं माँ-पा,
आपके बीच में सोकर,
मैं दिन-भर खूब हूँ भटका,
आपकी याद में रोकर।
नींद आती है.....
कोई अपना नहीं है माँ,
छोड़ कर तुम कहाँ चलदी,
सुन लो पापा मेरे प्यारे,
आपको भी थी क्या जल्दी।
नींद आती है....
छोड़ा किसके सहारे माँ,
बताओ मुझको ना पापा,
रात वो थी बड़ी काली,
सोचकर दिल है फिर कांपा।
नींद आती है....
#सुनीता बिश्नोलिया
#जयपुर
पाठ्यपुस्तक नई 'आशाएँ '- सूरमा(कविता) - रामधारी सिंह 'दिनकर ' सूरमा - रामधारी सिंह 'दिनकर' सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है | सूरमा नहीं विचलत होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते | विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं | मुँह से कभी ना उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं | जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग- निरत नित रहते हैं | शूलों का मूल नसाने हैं , बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं | है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ | मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है | गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो, वर्तिका बीच उजियाली हो | बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है | कवि परिचय - #रामधारी सिंह 'दिनकर '-- हिंदी के प्रमुख कवि लेखक और निबंधकार थे। उनका जन्म 1908 में बिहार राज्य के बेगुसराय जिले में सिमर
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